रोहिंग्या औरतों से रेप करते हैं म्यांमार के फौजी, संयुक्त राष्ट्र ने कहा कदम उठा


Deprecated: Creation of dynamic property Maghoot_Theme::$loop_meta_displayed is deprecated in /var/www/vhosts/knockingnews.com/httpdocs/wp-content/themes/magazine-hoot/template-parts/loop-meta.php on line 108

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के फैक्ट फाइंडिंग मिशन की एक रिपोर्ट में म्यांमार की सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया है. साथ ही कहा गया है कि सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या की, उन्हें जेल में डाला और यौन शोषण किया.

लिहाजा म्यांमार के सैन्य अफसरों पर नरसंहार का केस चलना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, “म्यांमार की मिलिट्री कभी भी लोगों को जान से मारने, महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने, बच्चों की हत्या और पूरे गांव को बर्बाद कर देने की सफाई नहीं दे सकती. रखाइन राज्य में म्यांमार सेना का ऐसा करना एक तरह से सुरक्षा के लिए खतरा है.”

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी इस रिपोर्ट को हेग (नीदरलैंड) स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को सौंप दिया है. साथ ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. रिपोर्ट में कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग हलैंग समेत छह मिलिट्री अफसरों के नाम हैं. मिशन का हिस्सा रहीं अफसर राधिका कुमारस्वामी ने सोमवार को बताया, “म्यांमार में अफसरों ने काफी गलतियां की हैं. वे हालात को नियंत्रित करने में नाकाम रहे. हमारे पास इस बात के सबूत हैं. हमने सारे नाम यूएन ह्यूमन राइट्स कमिश्नर जीद राद अल हुसैन को सौंप दिए हैं.”

सू की के पास ज्यादा अधिकार नहीं : रिपोर्ट में कहा गया है, “म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की सरकार की प्रमुख होने के बाद भी अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर पातीं. उन्होंने नैतिक आधार के चलते भी रखाइन राज्य में हुई घटनाओं को रोकने की कोशिश नहीं की. म्यांमार में करीब 50 साल सैन्य शासन रहा. वहां मिलिट्री कमांडरों को पूरी ताकत हासिल है. सेना को सबकुछ करने की आजादी है.” एमनेस्टी इंटरनेशनल और सेव द चिल्ड्रन समेत कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने यूएन की इस रिपोर्ट का समर्थन किया है. पिछले साल अगस्त में लाखों रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार की सीमा पारकर बांग्लादेश में दाखिल हुए थे. वहां उन्होंने शरणार्थी कैंपों में पनाह ली थी.

म्यांमार आर्मी ने आरोपों से किया इनकार: म्यांमार आर्मी अपने ऊपर लगाए आरोपों से लगातार इनकार कर रही है. अफसरों का कहना है कि केवल रोहिंग्या आतंकियों को निशाना बनाया गया, जो अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी नामक आतंकी गुट से जुड़े हैं. इस गुट ने कई पुलिस चौकियों को निशाना बनाया था.

फेसबुक ने बंद किए अकाउंट : फेसबुक ने सोमवार को म्यांमार के सेना प्रमुख जनरल हलैंग और वहां के कई अन्य सैन्य अफसरों के अकाउंट बंद कर दिए. उनकी ओर से नफरत भरे भाषण और फेक न्यूज पोस्ट की जा रही थीं. यूनाइटेड नेशंस (यूएन) ने सोमवार को म्यांमार आर्मी के जनरल मिन आंग हलैंग समेत अन्य आला अफसरों को नरसंहारक कहा था.फेसबुक ने बताया कि इन सैन्य अफसरों से संबंधित 18 फेसबुक अकाउंट, 52 फेसबुक पेज और एक इंस्टाग्राम अकाउंट ब्लॉक किया गया. साथ ही, उन पर पोस्ट किया गया डेटा और कंटेंट हटा दिया गया. फेसबुक के मुताबिक, इन पेजों और अकाउंट्स को 1.20 करोड़ लोग फॉलो कर रहे थे. सोशल मीडिया कंपनी ने कहा कि हम ऐसे लोगों को रोकना चाहते हैं, जो हमारी सेवाओं का इस्तेमाल धार्मिक और जातिवादी विवादों को भड़काने में कर रहे हैं.

70 हजार रोहिंग्या मुसलमान जा चुके बांग्लादेश : रिपोर्ट के मुताबिक, रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ सैन्य अभियान एक साल पहले शुरू हुआ था. म्यांमार की सेना के इस अभियान को रोकने के लिए शांति का नोबेल से सम्मानित आंग सान सू की की सरकार ने भी पर्याप्त कदम नहीं उठाए. माना जा रहा है कि म्यांमार सेना के इस कदम के कारण करीब 6 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश चले गए. रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार अपना नागरिक नहीं मानता. सरकार उन्हें गैरकानूनी प्रवासी बांग्लादेशी मानते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगाती.

Leave a Reply