करवाचौथ पर इस बार कब पूजा कब करना है, मुहूर्त कब है, तिथि क्या है और कब पड़ रहा है . चंद्र दर्शन कितने बजे करना है और अर्घ्य कब देना है. इन सब सवालों का जवाब आपको इस खबर में मिलेगा. इस दिन सकट चौथ यानी संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है इसलिए ये पर्व और खास हो जाता है. आपको पता होगा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. यह व्रत पति के दीर्घायु के लिए रखा जाता है. इस वर्ष करवा चौथ दिनांक 27 अक्टूबर 2018 दिन शनिवार को पड़ रहा है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निराजल व्रत रखकर रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद उसे अर्ध्य देकर व्रत खोलती हैं.
इसी दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है. इस प्रकार यह पर्व और शुभ हो गया. एक बात का ख्याल रहे कि महिलाएं चांद को भी अर्ध्य देने के बाद पति के हाथों से ही जल पिएं. इस प्रकार पति पत्नी के जन्म जन्मांतर तक चलने वाले इस अमर प्रेम में यह व्रत महती भूमिका निभाता है. ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज से जानें करवा चौथ का शुभ मुहूर्त एंव पूजा विधि.
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त:
05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 53 मिनट तक
कब खोलें व्रत:
चंद्रोदय यानी चांद के दिखने का समय रात्रि 7 बजकर 55 मिनट पर होगा. चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें. लेकिन चंद्र दर्शन करना आवश्यक है.
करवा चौथ की पूजा विधि:
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं. सोलह श्रृंगार में माथे पर लंबी सिंदूर अवश्य हो क्योंकि यह पति की लंबी उम्र का प्रतीक है. मंगलसूत्र, मांग टीका, बिंदिया ,काजल, नथनी, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये 16 श्रृंगार में आते हैं.
सोलह श्रृंगार में महिलाएं सज धजकर चंद्र दर्शन के शुभ मुहूर्त में चलनी से पति को देखती हैं. चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं. चंद्रमा मन का और सुंदरता का प्रतीक है. महिलाएं चंद्रमा के समकक्ष सुंदर दिखना चाहती हैं क्योंकि आज वो अपने पति के लिए प्रेम की खूबसूरत चांद हैं. इससे पति का पत्नी के प्रति आकर्षण बढ़ता है. पति भी नए वस्त्र में सुंदर दिखने का प्रयास करता है. यह व्रत समर्पण का व्रत है. जीवात्मा महिला होती है. परमेश्वर पुरुष है. जो समर्पण एक भक्त का भगवान के प्रति होता है वैसा ही भाव आज पत्नी का पति के प्रति है.
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