राष्ट्रपति भवन के बारे में कुछ जानदार जानकारियां , जीतने वाले को मिलेगी ये ज़िंदगी

देश के जिस आलीशान भवन में रहने का गौरव प्रथम नागरिक को मिलता है उसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार मंजिला इस भवन में 340 कमरे हैं और सभी कमरों का उपयोग किया जा रहा है. इस शानदार इमारत के मुख्य शिल्पकार थे एडविन लैंडसोर लुटियंस. प्रेसीडेंट हाऊस के बारे में लुटियंस ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि इस भवन के निर्माण में दो युद्धपोतों से कहीं कम राशि खर्च हुई है. इस भवन का निर्माण कार्य मात्र डेढ़ करोड़ रुपए से कम लागत में 17 वर्षों में पूरा किया गया.

लगभग दो लाख वर्गफुट में बना प्रेसीडेंट हाऊस आजादी से पहले तक ब्रिटिश वायसराय का सरकारी आवास था. करीब 70 करोड़ ईंटों और 30 लाख घनफुट पत्थर से बने इस भवन के निर्माण में एक करोड़ चालीस लाख रुपए खर्च हुए थे. राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने हाल में एक साक्षात्कार में कहा था कि मुझे सुबह टहलने की आदत है. मैं अपने लॉन में 30-40 चक्कर लगाता हूं. प्रेसीडेंट हाऊस का लॉन काफी बड़ा है. किसी को इतने चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी.

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, प्रेसीडेंट हाऊस की देखरेख के कार्य के लिए 439 कर्मचारियों के पद मंजूर किए गए हैं, जिनमें से 334 कर्मचारी अभी कार्यरत हैं. राष्ट्रपति सचिवालय में काम करने वाले कर्मचारियों एवं अधिकारियों के 347 पद मंजूर हैं, जिसमें से 285 कर्मचारी अभी कार्यरत हैं. प्रेसीडेंट हाऊस के स्तंभों पर उकेरी गई घंटियां, जैन और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की अनुकृति है. भवन के स्तंभों के निर्माण की प्रेरणा थी कर्नाटक में मूडाबिर्दी स्थित जैन मंदिर. हालांकि लुटियंस ने कहा था कि भवन के गुंबद रोम के मंदिर पैन्थियन ऑफ रोम की याद दिलाता है.

प्रेसीडेंट हाऊस में बने चक्र, छज्जे, छतरियां और जालियां भारतीय पुरातत्व पद्धति की याद दिलाते हैं. 1911 में दिल्ली दरबार में फैसला किया गया कि भारत की तत्कालीन राजधानी कलकता से दिल्ली स्थानांतरित की जाएगी. उसके बाद यह निर्णय भी लिया गया कि दिल्ली में ब्रिटिश वायसराय के रहने के लिए एक शानदार इमारत का निर्माण किया जाए. प्रेसीडेंट हाऊस के प्रमुख इंजीनियर हक कीलिंग थे जबकि इस भवन का अधिकतर निर्माण कार्य ठेकेदार हसल अल राशिद ने कराया था.

भारत के गर्वनर जनरल के तौर पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी प्रेसीडेंट हाऊस में रहे थे. 26 जनवरी 1950 को प्रथम राष्ट्रपति के रूप में यह भवन डॉ. राजेन्द्र पसाद का आवास बना, तभी से यह देश के राष्ट्रपति का सरकारी आवास बना हुआ है.

प्रेसीडेंट हाऊस का खास आकर्षण मुगल गार्डन है. मुगल गार्डन के साथ प्रेसीडेंट हाऊस के बगीचे की देखरेख के लिए सवा दो सौ से अधिक माली लगे हैं. मुगल गार्डन में 110 विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधे, 200 गुलाब की प्रजातियां और रंग-बिरंगे फूल हैं. प्रेसीडेंट हाऊस में काफी संख्या में पशु पक्षी भी हैं.