‘सरकार ने घोटाला कर अडानी को पहुंचाया फायदा’ खबर छापने वाले नामी संपादक की नौकरी गई


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नई दिल्ली: जो लोग कहते हैं कि मोदी सरकार अबतक पाक साफ है वो ये खबर पढ़ें. ये मामला उन कई मामलों में से एक है जिसमें सीधे मोदी सरकार ज़िम्मेदार दिखाई देती है. ये भी पता चलता है कि सरकार के खिलाफ खबरें बाहर क्यों नहीं आ पाती हैं. जाने माने पत्रकार दरअसल अंग्रेज़ी की चर्चित पत्रिका इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (ईपीडब्लू ) के संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता को अपने पद से मंगलवार को इस्तींफा देना पड़ा. उन्होंने मोदी सरकार के 500 करोड़ रुपये के करप्शन पर एक खबर छापी थी. इस खबर में   मोदी सरकार पर अडानी पावर को 500 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाए जाने की बात कही गई थी. जिसके बाद अंडानी की कंपनी की ओर से उनके ऊपर मानहानि का मुकदमा भी दायर किया था.

यह स्टोरी अब ईपीडब्लू  की वेबसाइट से गायब हो चुकी है. पत्रिका ने इस स्टोरी को पुराने लिंक से हटा दिया है डिलीट कर दिय है. परंजॉय अप्रैल 2016 से EPW के संपादक थे.

खबर में कहा गया था कि केन्द्र सरकार ने सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के नियमों में बदलाव किया जिससे देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में शुमार अडाणी समूह की एक कंपनी को करीब 500 करोड़ रुपये का फायदा हुआ. देश की बड़ी बिजनैस मैगजीन इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (ईपीडब्लू ) में प्रकाशित खबर के मुताबिक सरकार ने सेज के नियमों में बदलाव के जरिए गुपचुप तरीके से अडाणी समूह की एक कंपनी को 500 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया है.

खबर के अनुसार, अगस्त, 2016 में वाणिज्य विभाग ने विशेष आर्थिक क्षेत्र के नियम (सेज नियमों), 2016 में संशोधन करते हुए उसमें एक नया प्रावधान जोड़ा था, जो सेज एक्ट, 2005 के तहत रिफंड के दावों से संबंधित था. सेज एक्ट के तहत किये गये इस संशोधन से पहले किसी तरह के रिफंड का कोई प्रावधान नहीं था. खबर के मुताबिक, यह संशोधन खासतौर पर अडानी पावर लिमिटेड (एपीएल) को लगभग 500 करोड़ रुपये के करीब की उत्पाद शुल्क के रिफंड का दावा करने का मौका देने के लिए किया गया था.

एपीएल का दावा था कि उसने कच्चा माल और अन्य कंज्यूमेबल्स (इनपुटों) पर यानी बिजली के उत्पादन के लिए मुख्यतः कोयले के आयात पर सीमा शुल्क चुकाया है, लेकिन ठाकुरिता ने खुलासा किया था कि दरअसल एपीएल ने मार्च 2015 के अंत में कच्चा माल और उपभोग की वस्तुओं पर 1000 करोड़ रुपये के सीमा शुल्क का भुगतान ही नहीं किया था. यानी सरकार ने नियम बदलकर उस पैसे का रिफंड करा दिया जो जमा ही नहीं हुआ था.

पत्रिका का दावा था कि सेज नियमों में संशोधन करके सरकार ने उसमें सीमा शुल्क का रिफंड मांगने को कानूनी बना दिया. खबर दावा करती है कि केन्द्र सरकार का वाणिज्य विभाग अडानी की कंपनी को एक ऐसी ड्यूटी पर रिफंड मांगने की इज़ाजत इजाजत दे रहा है, जिसका भुगतान उसके द्वारा कभी किया ही नहीं गया.

और भी हैं पेंच

अडाणी पावर लिमिटेड इंडोनेशिया से कोयले का आयात करता है.( दूसरी कंपनियों, जैसे, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजा पावर सप्लाई, एस्सार ग्रुप फर्म्स आदि कंपनियां भी ऐसे ही कोयला मंगवाती हैं) इंडोनेशिया से कोयले का आयात पिछले काफी समय से डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) की जांच के दायरे में है. मार्च, 2016 में डीआरआई ने दावा किया था कि इंडोनेशिया से आयात किये जा रहे कोयले का दाम बढ़ाकर बताया जाता है. ऐसा करके देश का पैसा बाहर भेज दिया जाता है. (मसलन आपने 5 रुपये का सामान मंगाया और उसका दाम बढ़ाकर 10 रुपये बता दिया तो 5 रुपये देश के बाहर चले गए और बदले में कुछ नहीं आया. माना जाता है कि बड़े नेताओं और अफसरों को उनके हिस्से की रिश्वत इसी तरीके से बाहर भेजी जाती है) कंपनियां अपना धन भी बाहर भेजने के लिए ये तरीका अपनाती हैं. इतना ही नहीं अडानी और एस्सार समूह पर आरोप है कि उसने कोयले की तरह ही बिजली संय्त्र के उपकरण भी दाम ज्यादा दिखाकर और ज्यादा पैसे का बिल बनाकर इंपोर्ट किए.

ये जानकारियां पहली बार पिछले साल ईपीडब्लू में अप्रैल और मई में छपी थीं. ड्यूटियों (करों) की सुनियोजित चोरी का यह उदाहरण एक कदम और आगे की चीज है. यह एक ऐसी ड्यूटी के रिफंड की मांग से संबंधित है, जो वास्तव में चुकायी ही नहीं गयी है.(inputs from national janmat)