MHA की फेंका फांकी, स्पेन-मोरक्को की फोटो लगाकर कहा हमने बॉर्डर पर लाइटिंग की

नई दिल्ली : केन्द्र सरकार भारत की सुरक्षा के मामले पर देश की आंखों में कैसे धूल झोंकती है और कैसे झूठ और फेंकाफांकी के जरिए देश को बेवकूफ बनाया जा रहा है ये इसका उदाहरण है. अब तक सोशल मीडिया पर ट्रोल्स और सोशल मीडिया सेल के ज़रिए ही जूठी सूचनाओं की शिकायतें आती थीं. लेकिन ये मामला बेहद गंभीर है. गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में स्पेन-मोरेक्को सीमा की एक तस्वीर लगाकर कहा कि उसने भारत पाकिस्तान सीमा पर फ्लड लाइट लगा दी है. जाहिर बात है इस काम में मंत्रालय में भारी खर्च किया होगा लेकिन हालात ऐसे हैं कि विदेशी तस्वीर लगाकर बात को छिपाया जा रहा है.

इस तस्वीर को मंत्रालय की तरफ से ‘भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय पर लगी फ्लड लाइट’ के तौर पर दिखाया गया है. गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2016-17 में केंद्र सरकार की उपलब्धियों का जिक्र किया गया है. इस रिपोर्ट में आंतरिक सुरक्षा के बारे में जानकारी के अलावा नॉर्थ ईस्ट, जम्मू और कश्मीर और माओवादी इलाकों में सरकार द्वारा किए गए कार्यों का जिक्र किया गया था.

इस रिपोर्ट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, वह क्वेटा बॉर्डर की है, जो पहले से इंटरनेट पर मौजूद है. गृह मंत्रालय ने इसे लेकर मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.

गृह मंत्रालय की 342 पन्नों की रिपोर्ट में इस तस्वीर का कैप्शन ‘बॉर्डर पर लगाई गई फ्लड लाइट’ दिया गया है. (क्वेटा स्पेन का स्वायत्त शहर है, जो अफ्रीका के उत्तरी तट पर स्थित है. इस शहर की करीब 6.4 किलोमीटर की सीमा मोरेक्को से सटी है.)

साथ ही पाकिस्तान के बॉर्डर पर जम्मू, राजस्थान, गुजरात और पंजाब में 1943 किलोमीटर के इलाके में यह फ्लड लाइट लगाने की बात कही गई है. भारत पाकिस्तान के साथ 2308 किलोमीटर की सीमा साझा करता है.

मंत्रालय द्वारा यह तस्वीर इस तरह से पेश की गई है.

घुसपैठ को रोकने में ये फ्लड लाइट बीएसएफ की काफी मदद करती हैं. अधिकारियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि भारत-पाक की तस्वीर बताकर उस तस्वीर का इस्तेमाल करना वाकई शर्मनाक था. हालांकि अभी तक यह बात भी साफ नहीं हो पाई है कि रिपोर्ट में यह तस्वीर बीएसएफ के कहने पर लगाई गई या गृह मंत्रालय के कहने पर.

यह रिपोर्ट मंत्रालय की तरफ से हर साल जारी की जाती है. इसमें मंत्रालय सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जानकारी देता है. रिपोर्ट पिछले 3 महीने से सार्वजनिक है. सूत्रों का कहना है कि अब पुरानी कॉपियों को मंगाकर गलती सुधारकर फिर से रिपोर्ट जारी करना संभव नहीं है.