हैदराबाद के मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में हिंदूवादी अतिवाद के आरोपियों को बरी करने वाले जज रविन्दर रेड्डी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना चाहते हैं. जज रविन्दर रेड्डी रिटायर हो चुके हैं.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक जब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 14 सितंबर को हैदराबाद आए थे तो रिटायर्ड जज रविन्दर रेड्डी उनसे मिले. वो बीजेपी में शामिल होना चाहते है, और पार्टी में बौद्धिक स्तर पर अपना योगदान दे सकते हैं उन्हें चुनावी राजनीति में भी कोई परेशानी नहीं है.
अपना फैसला सुनाते हुए रेड्डी ने कहा था कि कोई सिर्फ आरएसएस का सदस्य हो जाने से ही साम्प्रदायिक नहीं हो जाता है. तब रविन्दर रेड्डी ने कहा था, “आरएसएस एक गैर कानूनी करार दिया गया संगठन नहीं है, यदि कोई इसके लिए काम करता है, तो इसका ये मतलब नहीं है कि इससे उसको साम्प्रदायिक और एंटी सोशल बनने का मौका मिलता है.”
तेलंगाना बीजेपी के प्रमुख डॉक्टर के लक्ष्मण ने शुक्रवार (21 सितंबर) को कहा, “अभी तक ये तय नहीं हुआ है कि वे पार्टी में शामिल किये जाएंगे, और अगर किये जाएंगे तो उन्हें क्या रोल दिया जाएगा.”
एक बीजेपी नेता ने कहा, “जब वे अमित शाह से मिले तो उन्होंने बीजेपी जैसी एक राष्ट्रवादी और देशभक्त पार्टी के साथ काम करने की इच्छा जाहिर की.
उन्होंने कहा कि बीजेपी जैसे चाहे उनका इस्तेमाल कर सकती है.” बता दें कि 16 अप्रैल को रविन्दर रेड्डी ( उस वक्त चौथे अतिरिक्त मेट्रोपोलिटिन सेशन जज और एनआईए कोर्ट के जज थे) ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस में स्वामी असीमानंद समेत पांच आरोपियों को बरी करके अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस के आरोपियों को बरी करते हुए जज रविन्दर रेड्डी ने अपने फैसले में कहा था कि सरकारी पक्ष ये नहीं साबित कर सका कि असीमानंद और दूसरे आरोपी 18 मई 2007 को मक्का मस्जिद में हुए ब्लास्ट की योजना बनाने और इसे अमली जामा पहनाने में शामिल थे.
उन्होंने कहा था कि कोई सिर्फ आरएसएस का सदस्य हो जाने से ही साम्प्रदायिक नहीं हो जाता है. तब रविन्दर रेड्डी ने कहा था, “आरएसएस एक गैर कानूनी करार दिया गया संगठन नहीं है, यदि कोई इसके लिए काम करता है, तो इसका ये मतलब नहीं है कि इससे उसको साम्प्रदायिक और एंटी सोशल बनने का मौका मिलता है.”
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