दिल्ली के मैक्स अस्पताल की बड़ी लापरवाही, ज़िंदा बच्चे को लाश बताकर पैक कर दिया


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नई दिल्ली:  शालीमार बाग़ में  MAX हॉस्पिटल पर बड़ा आरोप लगा है. अस्पताल ने एक हाल के पैदा हुए बच्चे को मरा हुआ दिखाकर डेडबॉड़ी के पार्सल में पैक कर दिया. घर ले बच्चे को घर लेकर आ रहे थे कि बैग में हलचल हुई. इससे पोल खुली. अस्पताल के खिलाफ एफआईआर हो गई है.

इस अस्पताल में एक महिला को जुड़वा बच्चे पैदा हुए एक बच्ची कि मौत पैदा होते ही हुई और दूसरा बच्चा जीवित था . इसके एक घण्टे बाद दूसरे बच्चे की भी मौत अस्पताल ने बताई  और दोनों बच्चों की डेड बॉडी के पार्सल पैक करके दिए . रास्ते मे जो शख्स बॉडी के पार्सल गोद मे लिए थे उसे हलचल लगी तुरन्त दूसरे अस्पताल ले गए एक बॉडी बच्चे की जिंदा मिली . फिलहाल शालीमार बाग थाना पुलिस जांच में जुटी .

इस महिला के दो बच्चे पैदा हुए थे एक लडका था तो दूसरी लडकी. डिलीवरी के वक्त बच्चों की उम्र 23 सप्ताह थी. परिवार ने बताया कि अस्पताल ने कहा कि एक बच्ची की मौत पहले ही हो गई थी. दूसरा बच्चा एक बच्ची की मौत पैदा होते ही होने की बात अस्पताल ने बताई और दुसरे लडके को ज़िंदा बताकर इलाज शुरू किया लेकिन करीब एक घंटे बाद अस्पताल ने बताया की दोनों बच्चे डेड हो गये है. इसके बाद दोनों बच्चों को मरा बताकर एक पार्सल में पैक कर के दे दिया गया. दोनों बच्चे पार्सल में थे जिन्हें इन कागजो में लपेटकर उपर टेप लगाकर उसके उपर नम्बर लिखकर परिवार को सौप दिया.

परिवार डेड बॉडी के ये पार्सल लेकर जा रहे थे रास्ते में जो शख्स दोनों पार्सल गोदी में लिए थे वे बच्चे के नाना थे और बच्चे के नाना को पार्सल में कुछ हलचल लगी जिसमे बच्चे की धडकन मह्सुश हुई और तुरंत परिजनों ने उस एक पार्सल को फाड़ा अंदर बच्चा ज़िंदा मिला जिसे तुरंत दुसरे अस्पताल में ले जाया गया जहा दुसरा बच्चा अभी भी जीवित है और दुसरे अस्पताल में भर्ती है.

परिवार ने तुरंत पुलिस को भी सूचना दी पर परिजनों का कहना है कि पुलिस ने FIR दर्ज नही की पुलिस का कहना है मेडिकल की लीगल सेल को मामला फारवर्ड कर दिया है जो मामले की जांच करेगी उसके बाद ही आगे का मामला दर्ज होगा.  इस मामले में DCP नार्थ-वेस्ट जिला का कहना है की अभी वे बाहर है एरिया में आकर मीडिया बाईट दे पाएगी.

फिलहाल अस्पताल ने एक मेल के जरिये ही अपना पक्ष रखा है. और अस्पताल का वाया मेल कहना है कि इन्क्वायरी शुरू कर दी है और जुडवा बच्चो के परिजनों से अस्पताल लगातार टच में है ..

इस तरह की घटना बड़े सवाल खड़े करती है कि नामी अस्पताल यदि बच्चे के ज़िंदा या मृत ही नही समझ पाए तो कैसे विश्वाश किया जाए. इससे पहले भी अस्पताल ने कितने बच्चों के साथ ऐसा किया होगा ये भी जांच का विषय है यदि यहाँ बच्चे के नाना ध्यान नही देते बच्चे को ज़िंदा दफनाया जा सकता था.