कश्मीर में तिरंगे तो बचाना है तो सरकार सुधरे, कोई तिरंगे को कंधा देने वाला भी न बचेगा


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नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि कश्मीर उस भारत को प्यार करता है जिसमें इंदिरा गांधी थी . जिसमें नेहरू थे. उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को नापसंद करने वाले संघ परिवार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए, भारत का मतलब इंदिरा गांधी हैं. जब मैं बड़ी हो रही थी, उन्होंने मेरे लिए भारत का प्रतिनिधित्व किया. हो सकता है कि कुछ लोगों को वह पसंद ना हों, लेकिन वही भारत थीं. महबूबा ने कहा- ‘मुझे यह कहते हुए दुख होता है कि टेलीविजन एंकर भारत की जिस छवि को पेश करते हैं, वह भारत के बारे में नहीं है, जिस भारत को मैं जानती हूं उसके बारे में नहीं है.’

महबूबा ने कहा – ‘मैं उस भारत को देखना चाहती हूं, जो चीखता हो, कश्मीर का दर्द महसूस करता हो. वह भारत जो हमारी शर्तो पर हमें गले लगाता हो. हम अलग तरह के राज्य हैं, जिसमें धर्म व हर चीज में बहु-विविधता है. कश्मीर भारत में एक छोटा सा भारत है. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद जताई कि वह जम्मू एवं कश्मीर मुद्दे का समाधान करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मोदी इस वक्त के व्यक्तित्व हैं. वह इतिहास का व्यक्तित्व हो सकते हैं और उनका नेतृत्व एक संपत्ति है, जिसका दोहन करने की जरूरत है. और साथ मिलकर काम करने तथा कश्मीर को संकट से बाहर निकालने का एक रास्ता होना चाहिए.’

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि टेलीविजन के प्राइम-टाइम में जिस तरह के भारत को दिखाया जा रहा है उससे वह निराश हैं, क्योंकि यह भारत तथा कश्मीर के बीच की खाई को गहरा करता है. उन्होंने कहा कि वह उस भारत को नहीं जानती, जिसे ‘उत्तेजित’ टेलीविजन चर्चाओं में दिखाया जाता है.

महबूबा ने शुक्रवार को संविधान के अनुच्छेद 35(ए) के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ के खिलाफ आगह किया, जिसपर सर्वोच्च न्यायालय में बहस चल रही है. यह अनुच्छेद राज्य विधानसभा को ‘स्थायी निवासियों’ को परिभाषित करने और उन्हें विशेष अधिकार देने की शक्ति प्रदान करता है. संविधान के इस अनुच्छेद का मजबूती से बचाव करते हुए महबूबा ने कहा कि इसमें किसी भी तरह के बदलाव का बुरा नतीजा होगा और इसका अर्थ यह होगा कि जम्मू एवं कश्मीर में कोई भी भारतीय राष्ट्रध्वज की हिफाजत नहीं कर पाएगा.

उन्होंने कहा कि इससे राज्य की नेशनल कॉन्फ्रेंस और उनकी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) जैसी मुख्यधारा की पार्टियों के कार्यकर्ताओं का जीवन खतरे में पड़ जाएगा, जो कश्मीर में राष्ट्रध्वज के लिए खड़े होते हैं और इसे फहराते हैं.
कश्मीर में एक कार्यक्रम के दौरान पीडीपी की अध्यक्ष ने कहा कि अनुच्छेद के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ स्वीकार नहीं किया जाएगा. मुझे यह कहने में बिल्कुल भी संकोच नहीं होगा कि (यदि अनुच्छेद को खत्म किया जाता है तो) कोई भी कश्मीर में राष्ट्रध्वज का शव को भी हाथ नहीं लगाएगा. मैं इसे स्पष्ट कर देती हूं.

‘वी द सिटिजन’ नामक एक गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) द्वारा अनुच्छेद 35(ए) के कानूनी आधार को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि यह अनुच्छेद कभी संसद में पेश नहीं हुआ और इसे राष्ट्रपति के आदेश पर लागू किया गया. इस प्रावधान को 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने अनुच्छेद 370 में प्रदत्त राष्ट्रपति के अधिकारों का उपयोग करते हुए ‘संविधान(जम्मू एवं कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश 1954’ को लागू किया था.