बाबर के बारिस ने किया मसजिद पर दावा, कहा मैं सुलझाऊंगा राम मंदिर मसला


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नई दिल्ली: बाबरी मसजिद मामले में चौंकाने वाला एक वाकया हुआ है. अचानक बाबरी मसजिद के खानदानी वारिस और मालिक सामने आ गए हैं. उन्होंने लखनऊ के होटल अवध क्लार्क में मंगलवार को अपना दावा ठोका. याकूब हबीबुद्दीन तुसी नाम के इस शख्स ने कहा कि वो बाबरी मसजिद का बाजिव उत्तराधिकारी है.  बहादुर शाह जफर के परपोते प्रिंस याकूब ने दावा किया कि वो बाबर के वंशज हैं और बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक उनके ही पुरखों ने मुग़ल सल्तनत के तौर पर राज किया. उनका कहना था ऐसे में बाबरी मस्जिद या वर्तमान स्थिति में विवादित स्थल उनकी जागीर है और वह इसका मुतवल्ली बनने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे.

प्रिंस याकूब ने कहा क्योंकि वह इसके असली वारिस हैं इसलिए वह इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं और बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि को लेकर सुलह का फार्मूला भी उनके पास है. याकूब के मुताबिक उनकी एक श्री श्री रविशंकर के साथ बातचीत के अलावा इराक में इस्लाम के सर्वोच्च उलेमा से भी बात हो चुकी है. साथ ही अगर अदलात उन्हें मुतवल्ली बना देती है तो जल्द ही राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की समस्या का समाधान हो जाएगा.

हालांकि याकूब ने यह भी कहा कि देश और दुनिया के बड़े इस्लामिक मौलानाओं और धर्म गुरुओं से वह संपर्क में हैं और जल्द ही इसका कोई नतीजा निकलेगा. प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन, बहादुर शाह जफर की छठी पीढ़ी हैं और वह पूरी तरीके से मुगल बादशाहों की वेशभूषा में सामने आए. शाही शेरवानी, सिर पर कलगी टोपी, और कमर में तलवार लगाए प्रिंस हबीबुद्दीन को देखकर यहां मौजूद लोग चौंक गए.

प्रिंस का दावा अदालत में कितना ठहरता है यह तो वक्त बताएगा लेकिन मुगल वंशज याकूब अपनी तरफ से इस समस्या के समाधान में जुटे दिखाई दे रहे हैं. याकूब के मुताबिक बाबरी मस्जिद पर किसी भी वक्फ का कोई दावा नहीं बनता, न तो सुन्नी वक्फ बोर्ड और ना ही शिया वक्फ बोर्ड इस विवादित स्थान का असली वारिस हो सकता है. उनके मुताबिक यह जमीन जिस मुगलवंश की मिल्कियत रही है वहीं इसके बारे में फैसला कर सकता है.

बुधवार को याकूब अयोध्या जा रहे हैं वहां रामलला के दर्शन करेंगे और पक्षकारों से मिलकर अपना दावा भी पेश करेंगे. पत्रकारों के सामने आए प्रिंस याकूब ने बाबर के वंशज होने का न सिर्फ दावा किया बल्कि डीएनए रिपोर्ट की वह कॉपी भी सौंपी जिसमें अदालत ने उन्हें मुगलों का असली वारिस करार दे रखा है. अब अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच मुगल वंश का यह नया दावा क्या सुलह में कोई भूमिका निभा पाता है, सभी को इसका इंतजार रहेगा.