भारत पाक तनाव की मार मज़दूर और किसानों पर

भारत और पाकिस्तान में तनाव की खबरों के बीच गुस्से का जो दौर चला है उससे दोनों देशों के आम लोग बिना किसी युद्ध या बॉर्डर पर कार्रवाई के ही परेशानी में आ गए हैं. हालात ये हैं कि पाकिस्तान और भारत दोनों के बीच गरीब मज़दूर और किसान दोनों मुसीबत में आ गए हैं. इस झगड़े का फायदा तीसरा यानी चीन उठा रहा है.

भारत से पाकिस्तान के लिए रोज़ाना बडी मात्रा में सब्ज़ियां जाती हैं. एक अनुमान के मुताबिक अकेले गुजरात से ही 9 लाख टन सब्जियां पाकिस्तान जाती हैं . इसस विवाद के बाद आशंकित वातावरण में किसानों ने सब्ज़ियां भेजनी बंद कर दी हैं. दिल्ली के आज़ादपुर के व्यापारी कारोबार ठप होने से परेशान हैं. अफसोस की बात ये कि जिस पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात की जा रही है वहां के किसान इस मामले से मौज में आ गए हैं और उनके माल की कीमतें अंधाधुंध बढ़ गई है. अकेले टमाटर दस गुने दाम पर पहुंच गया है. 

उरी हमले के बाद भारत की तरफ से पाकिस्तान को निर्यात किए जाने वाले टमाटर में एक तिहाई की कमी आई है. तीन हफ्ते पहले तक वाघा-अटारी बॉर्डर के जरिये हर रोज 180 से 200 ट्रक यानी 4,000 टन टमाटर पाकिस्तान भेजे जाते थे. आज की तारीख में ये 60-70 ट्रक यानी करीब 1,400 टन रह गए हैं. रोजाना 11 से 12 करोड़ रुपये का टमाटर निर्यात 4 करोड़ रुपये का रह गया है.

इस बीच भारत से भेजे जाने वाले माल पर ड्यूटी दुगुनी कर देन से देश के कारोबार को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ है. हाल ही में भारृत सरकार ने रियल स्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को जो राहत दी थी उस पर बुरा असर पड़ा है. इन्फ्रा स्ट्रक्चर के काम पर भी बुरा असर पड़ने वाला है. इन दोनों ही सैक्टर में मज़दूरों को काफी काम मिलता है. इसकी वजह है पाकिस्तान से आने वाला सीमेंट. ड्यूटी डबल करने से सीमेंट काफी महंगा हो जाएगा. इसके अलावा कपड़े, ड्राई फ्रूट्स, मसाले, कारपेट, फल और कुछ सब्जियां भी पाकिस्तान से आती हैं. जाहिर बात है वहां इस सेक्टर के व्यापारियों को नुकसान होगा और यहां इन चीज़ों के दाम भी बढ़ जाएंगे. नुकसान का मतलब ये है कि भारत से ऑर्डर कम मिलने पर फैक्ट्रियों में काम कम होगा और छंटनी की मार पड़ेगी.

भारत की तरफ से पाकिस्तान को और भी कतौर पर आभूषण, टेक्सटाइल, मशीनरी, केमिकल, पेपर, टायर और पान के पत्ते पाकिस्तान भेजे जाते हैं. सबसे ज्यादा बुरा असर इसका पान के पत्ते के कारोबारियों पर पड़ेगा क्योंकि पान बेहद जल्दी खराब हो जाता है.

यानी दोनों हालात में इस जंग से दोनों तरफ के व्यापारी और किसान बुरी तरह नुकसान उठा रहे हैं. बाज़ार में चीज़ों के दाम बढ़न से मध्यवर्ग भी प्रभालित हुआ है.

चीन का फायदा

चीन भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल का फायदा उठाने का एक भी मौका नहीं चूकता. उरी हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान पर दबाव बनाना शुरू किया तो चीन ने कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे भारत को दिक्कत होना स्वाभाविक था. अब व्यापार के मोर्चे पर भी ड्रैगन ने अपनी चाल चल दी है.

उरी हमले और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत और पकिस्तान के रिश्तों में तनाव पैदा हुआ तो दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार करीब-करीब थम सा गया है. भारत से पाकिस्तान को टमाटर की सप्लाई में कटौती हुई तो चीन ने वहां माल झोंकदिया. नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तान ने भारत से लहसुन और अदरक की खरीदारी बंद कर दी है. उधर चीन इस मौका का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान को लहसुन और अदरक निर्यात करने लगा.

अब पुलवामा के बाद पाकिस्तान ने लहसुन के 42 ट्रक फिर भारत वापस भेज दिए हैं. पड़ोसी मुल्क इस बात का प्रचार कर रहा है कि भारत का लहसुन और अदरक सेहत के लिए ठीक नहीं है. इसके बाद पाकिस्तान में लहसुन और अदरक के बाजार पर चीन का कब्जा होता जा रहा है. अब तक हर रोज भारत से 15 से 20 ट्रक अदरक और 20 से 25 ट्रक लहसुन पाकिस्तान भेजे जा रहे थे. यह अब बिल्कुल ठप हो गया है.

बाकी सब्जियों के दाम भी बढ़े

केवल टमाटर ही नहीं बल्कि आलू समेत कई सब्जियों के दाम भी पाकिस्तान में काफी बढ़ गए हैं. यहां आलू के दाम पहले 10-12 रुपये प्रति किलो थे, लेकिन अब 30-35 रुपये प्रति किलो हो गए हैं. इसके अलावा खीरे और तोरी 80 रुपये प्रति किलो में बिक रहे हैं. जाहिर बात है इन चीज़ों के किसानों की पाकिस्तान में मौज हो गई है. पाकिस्तान के व्यापारियों का एक तबका भी इससे खुश है.

यह वृद्धि ऐसे समय हुई है, जब पाकिस्तान के कुछ उद्योगपति भारत को सर्वाधिक तरजीही देश (एमएफएन) का दर्जा दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. इन व्यापारियों को एक और बहाना मिल गया है.

भारत के वाणिज्य मंत्रालय के सांख्यिकी एवं वाणिज्यिक खुफिया महानिदेशालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान का भारत को निर्यात अप्रैल-दिसंबर, 2012 में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 66 प्रतिशत बढ़ा.

इसके विपरीत भारत का पाकिस्तान को निर्यात आलोच्य अवधि में 16 प्रतिशत बढ़ा. पाकिस्तान ने 9 महीने की अवधि (अप्रैल-दिसंबर, 2012) में 46 करोड़ डॉलर का निर्यात किया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 27.7 करोड़ डॉलर का निर्यात किया गया था. पाकिस्तान ने पड़ोसी देश को 2011-12 के दौरान कुल 40.1 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था.

भारतीय उच्चायोग की तरफ से जारी बयान के अनुसार अप्रैल-दिसंबर, 2012 के दौरान पाकिस्तान के भारत को किए जाने वाले निर्यात में 18.3 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई. इसी अवधि में भारत से किए गए आयात में 17 करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि द्विपक्षीय व्यापार में पाकिस्तान के निर्यात का हिस्सा 2009-10 से दोगुना हो गया है.

यह आंकड़ा उन पाकिस्तान उद्योगपतियों के दावों के भी खिलाफ है जिनका कहना है कि भारत के साथ व्यापार को उदार बनाने से कृषि, औषधि, कपड़ा तथा वाहन क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों की भरमार हो जाएगी.

पाकिस्तान के ये उद्योगपति भारत के साथ व्यापार को उदार बनाने तथा उसे एमएफएन का दर्जा दिए जाने का विरोध कर रहे हैं.

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