लालू यादव ने पलट दी बाज़ी, तेजस्वी की तरफ देखा भी तो टूट जाएगी  नितीश की पार्टी


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नई दिल्ली : नितीश कुमार बार बार मोदी के साथ नज़दीकिया दिखाकर लालू यादव को दबाव मे लेने की कोशिश कर रहे थे लेकिन बिहार राजनीति का मक्का है और लालू वहां के पीर. लालू ने अब जो दांव खेला है उसके बाद फिर साबित हो गया है कि नितीश मुन्ना ही रहेंगे मुन्ना बाबू बन सकते हैं लेकिन बाबूजी नहीं.

लालू यादव ने नितीश को जिस पाश में बांधा है उसके बाद वो तेजस्वी मामले में पंगा लेने की सोच भी नहीं सकते. अब तक मीडिया में नितीश ये खबरें प्लांट करवा रहे थे कि वो बीजेपी के साथ जाकर सरकार बना सकते हैं लेकिन नीतिश संकेत ही देते रहे और लालू ने खेल कर दिया .सूत्रों के मुताबिक जेडीयू में खेमाबंदी हो गई है और जेडीयू के अधिकांश मुस्लिम और यादव विधायकों ने बीजेपी के साथ जाने की बजाय अलग रास्ता अपनाने का मन बना लिया है. यानी बीजेपी के साथ नितीश सरकार बनाने का मंसूबा पालते हैं तो उनकी पार्टी में दो फाड़ हो जाएगी.

बिहार में तो नेता चुप हैं लेकिन केरल से पार्टी के एकमात्र सांसद वीरेंद्र कुमार ने खुले तौर पर ये बयान दे दिया है. उन्होंने कहा है कि पार्टी सिर्फ बीजेपी से गठबंधन नहीं करेगी और तो और उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी द्वारा एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के फैसले को भी नजरअंदाज कर दिया.

एचटी मीडिया ने जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से लिखा है कि अगर नीतीश कुमार भगवा झंडा थामते हैं तो पार्टी के कई विधायक खासकर सीमांचल-कोशी इलाके से चुनकर आने वाले एमएलए अलग राह अपना सकते हैं. ऐसे में अगर नीतीश कुमार महागठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल होने की कोशिश करते हैं तो उन्हें अपनी ही पार्टी में सबसे ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

सूत्र बताते हैं कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का भी बीजेपी की तरफ झुकाव नहीं है. माना जा रहा है कि एनडीए से ज्यादा याराना बढ़ाते हैं तो नितीश के पास 51 विधायक ही बचेंगे 71 में से करीब 20 विधायक बीजेपी के चक्कर में नितीश को ही छोड़ देंगे. पार्टी के 12 सांसदों में से 6 यानी आधे बीजेपी के साथ जाने के खिलाफ हैं.

एचटी मीडिया के मुताबिक, सरफराज आलम, मुजाहिद आलम, सरफुद्दीन आलम और नौशाद आलम कुछ ऐसे नाम हैं जो जेडीयू के एनडीए में शामिल होने की दशा में नीतीश से बगावत कर सकते हैं.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर महागठबंधन के दो दलों राजद और जेडीयू के बीच तल्खी देखने को मिल रही है. जेडीयू जहां तेजस्वी से बेनामी संपत्ति मामले में सीबीआई के आरोपों पर सफाई मांगी थी,वहीं राजद की ओर से स्पष्ट कहा गया था कि तेजस्वी पद से इस्तीफा नहीं देंगे.

इस बीच मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच उपजे राजनीतिक हालातों पर करीब 45 मिनट तक बातचीत हुई थी. नितीश से बात करने खुद लालू तक नहीं गए . इससे नितीश की हैसियत का पता लगाया जा सकता है.