JNU राजद्रोह मामले में बुरी तरह फंसे केजरीवाल, कन्हैया कुमार से बड़ी परेशानी


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जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के विद्यार्थियों पर राजद्रोह का केस लगाने को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी उस मुसीबत में फंस गई है जिसकी न तो उसने कल्पना की थी न किसी और ने की होगी. हाईकोर्ट के आदेश ने केजरीवाल सरकार को गहरी दुविधा में डाल दिया है. दुविधा बताने से पहले आपको बताते हैं कि आज हुआ क्या.
मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और ताबड़तोड़ सवाल दागे. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आखिर मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले केजरीवाल सरकार से इजाजत क्यों नहीं ली गई? क्या आपके पास लीगल डिपार्टमेंट नहीं है? अदालत ने कहा कि जब तक दिल्ली सरकार इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत नहीं दे देती है, तब तक वो इस पर संज्ञान नहीं लेगी. यही दिल्ली सरकार की दुविधा की वजह है.
अदालत ने दिल्ली पुलिस से यह भी पूछा कि आखिर आप दिल्ली सरकार की इजाजत के बिना चार्जशीट क्यों दाखिल करना चाहते हैं? दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा कि वह मामले में 10 दिन के अंदर केजरीवाल सरकार से अनुमति ले लेगी. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 6 फरवरी तक के लिए टाल दी. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वो पहले इस चार्जशीट पर दिल्ली सरकार की अनुमति लेकर आएं.
अब सरकार के लिए संकट ये हैं कि वो इस मामले में इजाजत दे या न दे. केजरीवाल कन्हैया कुमार और दूसरे जेएनयू के छात्रों पर मुकदमा चलाने का विरोध कर चुकी है. वो सिद्दांत रूप से राजद्रोह जैसे चूतियाटिक और अंग्रेज़ों के ज़माने के कानून का विरोध भी कर चुकी है.
अब अगर इस मामले में केजरीवाल सरकार इजाज़त देती है तो उसे बदनामी झेलनी होगी. बीजेपी प्रचारित करेगी की आम आदमी पार्टी की सरकार भी कन्हैया कुमार को दोषी मानती है. जबकि फर्जी वीडियो और दूसरे प्रचार के आधार पर दायर किए गए इस केस में केजरीवाल सरकार अगर चार्जशीट इजाजत देती है तो ये पक्का मानकर चलिए कि वो नैतिक रूप से ये स्वीकार करेगी कि वहां देश विरोधी नारे लगाए गए जिसमें कन्हैया समेत कई छात्र शामिल थे.
दूसरी दुविधा ये भी है कि एफआईआर दायर न करने पर बीजेपी केजरीवाल के ऊपर कथित तौर पर देश द्रोही छात्रों के साथ होने का आरोप लगेगा. इतना ही नहीं. बीजेपी सोशल मीडिया के ज़रिए अराजक जैसे आरोपों को दोहराएगी. जिससे पार्टी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. इससे आम आदमी पार्टी को नुकसान हो न हो लेकिन बीजेपी अपनी राष्ट्रवादी छवि को चमकाने के लिए सोशल मीडिया सेल को झोंक देगी.
तीसरा संकट ये भी है कि अगर एफआईआर नहीं हुई तो अदालत में केस आगे नहीं बढ़ेगा. केस आगे न बढ़ने का मतलब है कि कन्हैया कुमार और उनके साथ के आरोपियों की बेगुनाही कभी साबित नहीं हो सकेगी. जबतक केस आगे नहीं बढ़ेगा छात्रों को दोषी ही प्रचारित किया जाता रहेगा.
इस दुविधा के बीच पार्टी को समझ नहीं आ रहा क्या करे. फैसले के दिन तो पार्टी के नेता आपस में ही विचार विमर्श करते रहे लेकिन केजरीवाल अभी कोलकाता में हैं . उनके वापस आते ही इस पर फैसला होगा. उधर दिल्ली पुलिस के सामने बड़ी समस्या है. उसे दस दिन में सरकार की इजाजत लेकर कोर्ट के सामने हाजिर होना है. वो भी अपनी तरफ से दबाव बनाएगी. जो भी हो आने वाले दिनों में हालात बेहद रोचक होने वाले हैं.

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