दिल्ली छोड़कर राज्यसभा में जाने की तैयारी में केजरीवाल ?

नई दिल्ली : दिल्ली से आगामी फरवरी में खाली हो रही राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी एक उम्मीदवार हो सकते हैं. माना जा रहा है कि उनके सांसद बनने की सूरत में दिल्ली की कमान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सौंपी जा सकती है. हाल के कुछ सालों से केजरीवाल लगातार मनीष सिसोदिया को आगे रख रहे थे . जनता में ये संदेश देने की कोशिस ही रही थी कि दिल्ली का कामकाज संभालने में मनीष सिसोदिया सक्षम हैं.

पंजाब चुनाव के दौरान भी केजरीवाल के दिल्ली छोड़ने की छटपटाहट सामने आ रही थी लेकिन विपक्ष को भगोड़ा होने के आरोप के कारण वो खुद को संभाले रहे. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर केजरीवाल ये महसूस करने लगे हैं कि दिल्ली के सीएम का पद केजरीवाल की क्षमता के मुताबिक कमतर है.

दिल्ली से राज्यसभा की तीन सीटें आगामी 18 फरवरी को खाली हो रही हैं. जाहिर है कि इन्हें भरने के लिए चुनाव उससे पहले ही होना है. दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के प्रचंड बहुमत के मद्देनजर इन तीनों ही सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों का विजयी होना तय है. दिक्कत यह है कि तीनों ही सीटों के लिए पार्टी में दावेदार बहुत हैं. आप के संस्थापकों में से एक कुमार विश्वास के राज्यसभा सीट पर दावा ठोक देने के बाद पार्टी में घमासान गहरा गया है. कुमार का कहना है कि चूंकि वे एक बेहतर वक्ता हैं, लिहाजा संसद में आम आदमी की बात ज्यादा बेहतर तरीके से उठा सकते हैं.

लेकिन जानकार सूत्रों का दावा है कि पार्टी कुमार को राज्यसभा नहीं भेजेगी, और न ही किसी अन्य नेता को यह मौका मिलेगा. पार्टी के मुखिया केजरीवाल खुद ही संसद भवन से आम आदमी की आवाज बुलंद करेंगे. कुमार विश्वास की सबसे बड़ी समस्या है उनका आधा मोदी समर्थक होना . वो अक्सर पार्टी लाइन से हटकर बयान दे देते हैं और ऐसे में खतरा है कि वो राज्यसभा में जाकर कही बीजेपी के ही होकर न रह जाएं.

पिछले लोकसभा चुनाव में आप ने पंजाब में चार लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. इनमें से कुछ सांसद भले ही अलग रास्ते पर चल रहे हों, लेकिन तकनीकी तौर पर वे आप के ही सांसद हैं और पार्टी व्हिप से बंधे हुए हैं.लेकिन कुमार के पहुंचने से वहां समीकरण भी गड़बड़ा सकता है. इतना ही नहीं कुमार की महत्वाकांक्षाएं भी बड़ी हैं. भाजपा में शीर्ष स्तर पर उनकी नजदीकियां जगजाहिर हैं. ऐसे में वे कभी भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.

लिहाजा पार्टी न उनको संसद भेजेगी और न ही किसी अन्य वरिष्ठ नेता को मौका दिया जाएगा. पार्टी के मुखिया केजरीवाल खुद ही संसद में पार्टी की कमान संभालेंगे. बाकी की दोनों सीटें पार्टी से जुड़े कानून और कारोबार की दुनिया की नामचीन हस्तियों को दी जा सकती हैं.

दिल्ली में पार्टी के संयोजक गोपाल राय पहले ही कह चुके हैं कि आम आदमी पार्टी से पूरे देश को अपेक्षाएं हैं. कांग्रेस और भाजपा के बाद इस पार्टी को लोग एक विकल्प के तौर पर देखते हैं. इसलिए पार्टी गुजरात सहित देश के अन्य हिस्सों में अपने संगठन का विस्तार कर रही है.