आधार पर जस्टिस चंद्रचूड़ की राय ज़रूर पढ़े, उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया


Deprecated: Creation of dynamic property Maghoot_Theme::$loop_meta_displayed is deprecated in /var/www/vhosts/knockingnews.com/httpdocs/wp-content/themes/magazine-hoot/template-parts/loop-meta.php on line 108

सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी सुप्रीम होता है वो जिसे गलत कहे वो उसे सही या गलत ठहराने का अधिकार इस देश में सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को है. आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उसमें संविधान पीठ में भी सहमति नहीं बन सकी. सबसे अहम थी जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ की असहमति. लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने आधार को असंवैधानिक बताते हुए आपनी असहमति बाकायदा दर्ज कराई है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार एक्ट को वित्त विधेयक की तरह पास करना संविधान के साथ धोखा है. दर असल सरकार ने इसे वित्त विधेयक की तरह इसलिए पेश किया क्योंकि वित्त विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं करना होता.

लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि सरकार वित्त विधेयक की तरह पेश इसलिए नहीं कर सकती थी क्योंकि ये वित्त विधेयकन नहीं था. सरकार ने कुछ प्रावधान जोड़कर इसे चोर दरवाजे से लोकसभा से ही पास करा दिया

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वो जस्टिस सीकरी के सुनाए फ़ैसले से अलग राय रखते हैं.

उन्होंने कहा कि आधार एक्ट को राज्यसभा से बचने के लिए धन विधेयक की तरह पास करना संविधान से धोखा है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 110 का उल्लंघन है.

अनुच्छेद 110 ख़ास तौर पर धन विधेयक के संबंध में ही है और आधार क़ानून को भी इसी तर्ज़ पर पास किया गया था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वर्तमान रूप में आधार एक्ट संवैधानिक नहीं हो सकता.

फैसला तीन हिस्सों में सुनाया गया. पहला हिस्सा जस्टिस एके सीकरी ने अपने, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर के लिए फैसला पढ़ा.

जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस ए भूषण ने अपने व्यक्तिगत विचार लिखे.

जस्टिस सीकरी ने आधार एक्टर के सेक्शन 57 को रद्द कर दिया, जिसके तहत निजी कंपनियों को आधार डेटा हासिल किए जाने की इजाज़त थी और कहा कि आधार का डेटा छह महीने से ज़्यादा स्टोर करके नहीं रखा जा सकता.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मोबाइल हमारे वक़्त में जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है और इसे आधार से जोड़ दिया गया. ऐसा करने से निजता, स्वतंत्रता और स्वायत्तता को ख़तरा है. उन्होंने कहा कि वो मोबाइल से आधार नंबर को डीलिंक करने के पक्ष में हैं.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के संबंध में कहा कि यह क़ानून मानकर क्यों चल रहा है कि सभी बैंक खाताधारक धांधली करने वाले हैं.

उन्होंने कहा कि यह मानकर चलना कि बैंक में खाता खोलने वाला हर व्यक्ति संभावित आतंकी या धांधली करने वाला है, यह अपने आप में क्रूरता है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि डेटा के संग्रह से नागरिकों की व्यक्तिगत प्रोफ़ाइलिंग का भी ख़तरा है. इसके ज़रिए किसी को भी निशाना बनाया जा सकता है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार नंबर सूचना की निजता, स्वाधीनता और डेटा सुरक्षा के ख़िलाफ़ है. इस तरह के उल्लंघन यूआईडीएआई स्टोर से भी सामने आए हैं. उन्होंने इसे निजता के अधिकार के ख़िलाफ़ भी बताया.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे संवेदनशील डेटा के दुरुपयोग होने की आशंका है और थर्ड पार्टी के लिए यह आसान है. उन्होंने कहा कि निजी कारोबारी भी बिना सहमति या अनुमति के व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग कर सकते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार प्रोग्राम समाधान तलाशने में नाकाम रहा है.

हालांकि जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार पंजीकरण के लिए यूआईडीएआई ने बहुत कम डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक डेटा जुटाया है और विशिष्ट पहचान के इस कार्यक्रम ने समाज के वंचित तबकों को पहचान दी है और उन्हें सशक्त बनाया है.

वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आधार के बिना कल्याणकारी योजनाओं से महरूम करना नागरिकों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि यूआईडीएआई के पास लोगों के डेटा की सुरक्षा के लिए कोई जवाबदेही नहीं है.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि डेटा की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह की मशीनरी का न होना ख़तरनाक है. उन्होंने कहा कि अभी तक आधार के बिना भारत में रहना असंभव था, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन था.

Leave a Reply