JNU ने मोेदी से अत्याचार का बदला लिया, ABVP की दुर्गति !

नई दिल्ली: जेएनयू के छात्रों ने आखिर स्मृति ईरानी के  ‘जुल्म’ का बदला ले लिया है. चुनाव में अध्क्ष पद के लिए एबीवीपी तीसरे नंबर पर रही. उपाध्यक्ष पद के लिए उसे विजेता लेफ्ट उम्मीदवार से आधे वोट भी नहीं मिले. महा सचिव पद पर एबीवीपी लेफ्ट के उम्मीदवार से आधे ही वोट ले पाई, जबकि सह सचिव पद के लिए एबीवीपी का उम्मीदवार मामूली वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहा .

जाहिर है सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट गठबंधन ने कब्जा जमा लिया है. अध्यक्ष पद पर AISA के मोहित पांडे ने जीत दर्ज की है. अमल पीपी उपाध्यक्ष होंगे. शतरूपा चक्रवर्ती महासचिव होंगी, जबकि तबरेज हसन संयुक्त सचिव होंगे.

आम तौर पर AISA और SFI दोनों अलग-अलग अपने उम्मीदवार लाते थे, लेकिन इस बार इन दोनों के बीच गठबंधन हुआ था ताकि एबीवीपी को धूल चटाई जा सके. कन्हैया कुमार के एआईएसएफ ने उम्मीदवार खड़ा ही नहीं किया था और AISA और SFI के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने में वक्त लगाया. ये प्रयोग सफल भी रहा जेएनयू छात्र संघ चुनाव में रिकॉर्ड 59 प्रतिशत मतदान हुआ था, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में छह प्रतिशत अधिक है. जेएनयू छात्र संघ चुनाव में पिछले वर्ष 53.3 प्रतिशत मतदान हुआ था और विश्वविद्यालय परिसर में इस वर्ष सामने आए विवादों के मद्देनजर चुनाव को दिलचस्प माना जा रहा था.