दिल्ली में मेवानी पुलिस टकराव के आसार, जबरदस्त फोर्स की तैनाती, दलित भी अड़े

नई दिल्ली : दिल्ली के संसद मार्ग पर आज बवाल का दिन है. दलित नेता जिग्नेश मेवानी अपनी रैली वहीं करने पर अड़े हुए है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उसने इस जगह पर रैली की इजाजत नहीं दी है. इतना ही नहीं मेवानी से निपटने के लिए जबरदस्त पुलिस फोर्स की तैनाती भी कर दी गई है. रैली रोकने के लिए रात को नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त ने बाकायदा किया- ‘‘संसद मार्ग पर प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को एनजीटी के आदेश के मद्देनजर अबतक मंजूरी नहीं दी गयी है.

आयोजकों को वैकल्पिक जगह पर जाने की सलाह दी गयी है जो वे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. ’’आयोजकों ने की पुष्टि की कि वे अपनी योजना पर आगे बढेंगे. इसके बाद पुलिस ने संसद मार्ग पर पुलिस की भारी भरकम तैनाती कर दी. एनजीटी ने पिछले साल पांच अक्तूबर को अधिकारियों को जंतर मंतर रोड पर धरना, प्रदर्शन, लोगों के जमा होने, भाषण देने और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल संबंधी गतिविधियां तत्काल रोकने का आदेश दिया था .

दर असल दिल्ली में ‘सामाजिक न्याय’ रैली या ‘युवा हुंकार रैली’ की योजना तैयार की गयी थी जिसे मेवाणी और असम के किसान नेता अखिल गोगोई को संबोधित करना है. आयोजकों में से एक और जेएनयू के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय ने कहा, “इस कार्यक्रम को रोकने के लिए बहुत प्रयास किए जा रहे हैं और यहां तक कि कुछ मीडिया घराने गलत सूचना भी फैला रहे हैं कि रैली के लिए इजाजत नहीं दी गई है . ” पांडेय ने पीटीआई को बताया कि दो जनवरी को रैली की घोषणा किए जाने के बाद से, “मेवाणी को एक देशद्रोही और शहरी नक्सली बताने वाले पोस्टरों पर बहुत सारा पैसा खर्च किया गया है .

” उन्होंने कहा कि रैली पूर्व निर्धारित समय पर ही होगी . मेवाणी से उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं किया जा सका . एक बयान में आयोजकों ने “कल 12 बजे संसद मार्ग पर एकत्रित होने” की अपील की है. दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस को मेवाणी को रैली करने की इजाजत नहीं दी है. पुलिस का कहना है कि यदि जबरदस्ती रैली की गई तो कार्रवाई की जाएगी.

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दौरान पूरे नई दिल्ली इलाके में धारा 144 लगा दी जाती है. इस दौरान किसी भी तरह के कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी जाती है. पुलिस ने कहा कि यदि किसी भी तरह धारा 144 को तोड़ा गया तो कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी

आपको बता दें कि जिग्नेश मेवाणी ने भीमा-कोरेगांव में दलितों के कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा के बाद उनपर दर्ज किए गए केस को लेकर बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा था. 5 जनवरी को दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में मीडिया से बात करते हुए गुजरात की वडगाम विधानसभा सीट से हाल ही में विधायक चुने गए मेवाणी ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि वह देश के दलितों के खिलाफ हो रही हिंसा पर चुप्पी तोड़ें.

मेवाणी ने कहा था, ‘‘खुद को आंबेडकरवादी बताने वाले पीएम मोदी चुप क्यों हैं? उन्हें अपना रुख साफ करना चाहिए कि दलितों को शांतिपूर्ण तरीके से रैलियां करने का हक है कि नहीं.’’ मेवाणी ने बताया था कि 9 जनवरी को आहूत अपनी सामाजिक न्याय के लिए युवा हुंकार रैली के दौरान वह मनुस्मृति एवं संविधान की प्रतियां लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) जाएंगे और मोदी से कहेंगे कि वह दोनों में से किसी एक को चुनें.

गौरतलब है कि बीते 31 दिसंबर को पुणे में भीमा कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने की याद में आयोजित कार्यक्रम ‘‘एलगार परिषद’’ में मेवाणी और जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वाले कश्मीरी छात्र उमर खालिद ने हिस्सा लिया था. पुणे के एक निवासी की ओर से दाखिल शिकायत के मुताबिक, उनके ‘‘भड़काऊ’’ भाषणों का मकसद समुदायों के बीच दुर्भावना पैदा करना था, जिसकी वजह से एक जनवरी को भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई.