वित्त मंत्रालय से जेटली को हटाने की कवायद, सिर पर फूटेगा सरकार की बदनामी का ठीकरा

नई दिल्ली :  2019  से पहले हो सकता है कि एनडीए ,खासकर बीजेपी के भीतर नया घमासान देखने को मिले. पीएम मोदी और अरुण जेटली के बीच खिंचाव बढ़ रहा है और हो सकता है कि इसका नतीजा आपसी झगड़े में सामने आए. अगर ज्यादा दूर की सोचें तो 2019 से पहले अरुण जेटली की वित्त मंत्रालय से छुट्टी कर दी जाए. हमारे सूत्रों ने इसबारे में पहले ही खबर दी थी लेकिन इस बार परिस्थितयां और गंभीर हुई हैं.

दरअसल आर्थिक फ्रंट पर सरकार की हालत ठीक नहीं है. लोगों में नोटबंदी और जीएसटी को लेकर जबरदस्त नराज़गी है. हाल में संघ ने एक अंदरूनी सर्वे भी किया था जिसमें बीजेपी की बिगड़ी हालत का पता लगा था. सर्वे का सबसे खतरनाक नतीजा था कि अगर यही हाल रहा तो 2019 में मोदी को हारने से कोई नहीं बता सकता. नॉकिंग न्यूज़ ने ये सर्वे सबसे पहले आपके सामने रखा था

जानकार कहते हैं कि संघ की हिदायतों के बाद सरकार के मामलों से दूरी रखने वाले अमित शाह की भी सरकारी विषयों में सक्रियता बढ़ी. जानकार कहते हैं कि अमित शाह ने ही मोदी को जेटली का आकार कम करे की सलाह दी थी. हालांकि जेटली बेहद उग्र स्वभाव के है और अपने काम में किसी का सलाह तक देना पसंद नहीं करते फिर भी मोदी ने उनके मामले में सीधा दखल दिया. अरुण जेटली पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के एकदम खिलाफ थे. वो सार्वजनिक स्तर पर भी इससे इनकार कर चुके थे लेकिन जेटली की गैर मौजूदगी में सरकार ने एक्साइज ड्यूटी कम करने का एलान कर दिया. यहां जेटली के मंत्रालय से जुड़ी हुई घोषणा हो रही थी और उधर जेटली बांग्लादेश में थे.

जानकार कहते हैं कि जेटली बेहद गुस्से में थे अगले ही दिन जेटली को समझाने के लिए केरल का दौरा अधूरा छोड़कर अमितशाह को दिल्ली बुलाया गया. तीनों के बीच लंबी बैठक भी हुई. जेटली को समझाया गया कि शाम को पीएम को कुछ घोषणाएं करनी थी इसलिए वातावरण सुधारने के लिए घोषणा ज़रूरी थी.

ये अकेला मामला होता तो जेटली चैन से बैठ सकते थे. लेकिन मामला इतना सीधा नहीं है. जेटली को संघ के सभी घटकों की तरफ तगड़ा झटका दिया गया. यशवंत सिन्हा सीधे जेटली पर हमलावर हो गए. जबकि मोदी के खिलाफ उन्होंने एक भी शब्द नहीं कहा. जानकारों का कहना है कि ये संघ की नीति है. संघ चाहता है कि वित्तीय असफलता का ठीकरा जेटली के सिर फोड़कर मोदी की छवि को बचाया जा सके. इस तरह का प्रयोग संघ दिल्ली और गुजरात में भी कर चुका है. दोनों जगहों पर बीजेपी ने स्थानीय निकाय चुनाव में अपने कैंडीडेट्स को बदल दिया लोगों का गुस्सा उनकी तरफ चला गया और पार्टी जीत गई. अब अमित शाह चाहते हैं कि सारा गुस्सा जेटली पर हो. बाद मे कहा जाए कि जेटली को हटा दिया गया है अब सब ठीक हो जाएगा. इसके साथ ही मोदी की इमेज को बरकरार रखा जाए. ऐसा करके नोटबंदी की मोदी की ज़िद से हुए नुकसान का गुस्सा भी कम किया जा सकता है.

उधर बीजेपी को नज़दीक से जानने वाले पत्रकार मानते हैं कि जेटली गुजरात कंपनी की नज़र में काफी दिनों से अखर रहे हैं. वो खुद मुख्तार हैं मोदी से अक्सर तर्क वितर्क करते हैं यही वजह है क उनसे रक्षा मंत्रालय भी लिया गया था. निर्मला सीतारमण को जेटली से कमजोर उम्मीदवार होने के बावजूद रक्षा मंत्री बनाना पडा ताकि जेटली पर निर्भरता को कम किया जा सके.

दरअसल मोदी और अमित शाह दिल्ली के लिए नए हैं. यहां के दिल्ली में सारा नेटवर्क जेटली संभालते हैं. यही वजह है कि जेटली पर मोदी की निर्भरता ज्यादा है लेकिन धीरे धीरे जेटली को ठिकाने लगान देना बीजेपी की मजबूरी बनता जा रहा है.

नेशनल हेराल्ड ने खबर दी है कि जेटली को हटाने की जगह हो सकता है कि गृह मंत्रालय दे दिया जाए. अखबार कहता है कि राजनाथ सिंह को उप प्रधानमंत्री बनाकर एक तरफ रख दिया जाए.

जो भी हो लेकिन आने वाला समय अरुण जेटली के लिए कठिन है. उनकी बली लेकर हो सकता है कि मोदी की बुरे ग्रह शांत किए जाएं.