जेडीयू ने बीजेपी को आंख दिखाई, हिम्मत है तो 2019 में अकेले लड़े बीजेपी

जेडीयू ने बीजेपी पर बड़ा हमला किया है. नितीश की पार्टी ने कहा है कि मोदी में हिम्मत है तो अकेले चुनाव लड़कर दिखाएं. आपको याद होगा कि नितीश कुमार पिछले कुछ दिनों से लगातार बीजेपी से दूरियां बनाने में लगे हैं.

ये बातें कयासों पर आधारित नहीं है बल्कि बाकायदा जेडीयू के नेता संजय सिंह का आरोप है उन्होंने कहा कि बिहार में बीजेपी के जो नेता हेडलाइंस बनना चाहते हैं, उन्हें नियंत्रण में रखा जाना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि 2014 और 2019 के बहुत अंतर है. बीजेपी को पता है कि वह बिहार में बिना नीतीश कुमार के साथ चुनाव जीतने में सक्षम नहीं होगी. अगर बीजेपी को सहयोगियों की जरूरत नहीं है, तो वह बिहार में सभी 40 सीटों पर लड़ने के लिए स्वतंत्र है.

वहीं अगले लोकसभा चुनावों की खातिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवा बीजेपी सहित बिहार की चार सहयोगी पार्टियों में सीट बंटवारे के लिए जदयू 2015 के राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाना चाहता है. जदयू ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया था.

साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को राज्य की 243 सीटों में से 71 सीटें हासिल हुई थीं जबकि भाजपा को 53 और लोजपा-रालोसपा को दो-दो सीटें मिली थीं. जदयू उस वक्त राजद एवं कांग्रेस का सहयोगी था, लेकिन पिछले साल वह इन दोनों पार्टियों से नाता तोड़कर राजग में शामिल हो गया और राज्य में बीजेपी के साथ सरकार बना ली. बीजेपी के एक नेता ने जेडीयू की दलील को ‘अवास्तविक’ करार देते हुए कहा कि चुनावों से पहले विभिन्न पार्टियां ऐसी ‘चाल’ चलती हैं.

उन्होंने दावा किया कि 2015 में लालू प्रसाद की अगुवाई वाले आरजेडी से गठबंधन के कारण जेडीयू को फायदा हुआ था और नीतीश की पार्टी की असल हैसियत का अंदाजा 2014 के लोकसभा चुनाव से लगाया जा सकता है जब वह अकेले दम पर लड़ी थी और उसे 40 में से महज दो सीटों पर जीत मिली थी. ज्यादातर सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.

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