अंदर तक झकझोर देगा येआइटम नंबर, सेंसर बोर्ड ने घटियापन का रिकॉर्ड बनाया 

उड़ता पंजाब को रोकने के लिए घोड़े खोल देने वाले पहलाज निहलानी के  फिल्म सेंसर बोर्ड ने जो इस बार पास किया है वो इतिहास का सबसे घटिया आइटम नंबर है. इस आइटम नंबर में अश्लील से अश्लील गाने देख चुके लोगों को अंदर तक हिला देने वाली नीचता है.

आइटम नंबर एक मैसेज के साथ शुरू होता है “viewers discretion is advised” यानि दर्शकों को सलाह दी जाती है कि वो विवेक से काम लें. यहीं पर तय हो जाता है कि गाने में कुछ तो खास होगा ही. फिर एक सुंदर सी कन्या दिखाई देती है, चमकती रौशनी और सब कुछ छिपाकर भी सबकुछ दिखाते कपड़े पहने लड़की ठुमके पर ठुमके लगाना शुरू कर देती है. कैमरा उसके भड़काऊ शरीर पर बार-बार जाता है, और तभी कुछ बच्चे वहां आकर डांस का आनंद उठाने लगते हैं, बच्चे बेहद उत्साहित हैं, नाच रहे हैं, हूटिंग कर रहे हैं और आखिर में फ्लाइंग किस भी देते दिख रहे हैं. ये वीडियो देखकर शायद आपको अब तक का सबसे खराब अनुभव हो.

ये बच्चे वही कर रहे हैं, जैसा उन्होंने औरों को करते देखा होगा. आखिर बच्चे वही तो सीखते हैं जो वो देखते हैं. और यही एक बात ‘एंजल्स क्लीनिक’  नाम की संस्था ने इस वीडियो के जरिए बताने की कोशिश की है. ये वीडियो ‘Re-grade Item Numbers’ नाम की एक पिटीशन का हिस्सा है, जिसे सेंसर बोर्ड चेयरमैन पहलाज निहलानी के खिलाफ दायर किया गया है. जिसके जरिए ये अपील की गई है कि फिल्मों में निरंकुश हो रहा अडल्ट कटेंट जो आइटम नंबर्स के जरिए फैलाया जा रहा है, उसपर लगाम लगनी चाहिए. इस संदेश के साथ लोगों को पिटिशन साइन करने की अपील भी का जा रही है. क्योंकि इस तरह फैल रही अश्लीलता बच्चों के मन पर जो प्रभाव डालती है, उसका असर अभी तो नहीं, लेकिन बाद में दिखाई देता है.

बच्चों की परवरिश में हम हर चीज का ख्याल रखते हैं, जिससे उनके विकसित हो रहे मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पढ़े, लेकिन यहां हम खुद इन गानों के रूप में उनके सामने अश्लीलता परोस रहे हैं. ये आइटम नंबर महज संगीत की धुन और बीट्स नहीं जिसपर मस्त होकर सिर्फ नाचा जाता है, बल्कि ये तो जीता जागता अश्लील साहित्य है, जिसके बारे में हमारे यहां के बच्चे न जानते हैं और न उन्हें जागरुक किया जाता है.

महिलाओं के शरीर को बिना रोक टोक देखना आइटम नंबरों के जरिए एक स्वीकार्य तरीका होता है. जिसे हर कोई देखता है, बडे भी और बच्चे भी. और अब तो ये सब इतना सामान्य है कि टीवी का चैनल चेंज करने की भी जरूरत नहीं समझी जाती. लेकिन परेशानी सिर्फ यहीं तक नहीं, शोध बताते हैं कि इस तरह परोसी जाने वाली अश्लीलता नाबालिगों को महिलाओं पर हो रहे जुवेनाइल अपराधों तक ले जाती है.

नाबालिगों द्वारा बलात्कार के मामलों में 143 % का इजाफा हुआ है. पूरी दुनिया में भारत रेप कैपिटल के नाम से मशहूर है. बड़े तो बड़े, नाबालिग भी सैक्स चाहते हैं और नतीजा ये कि ये जिज्ञासा ऐसी घटनाओं को अंजाम देती है. और उन्हें सुनकर हम सिर्फ यही कहते हैं, कि ‘हे भगवान पता नहीं क्या हो रहा है दुनिया को, कलयुग है’.