अपना राजनीतिक रुझान तक छिपा नहीं सकी बार काउंसिल, समझौत क्या कराएगी ?


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नई दिल्ली: बार काऊंसिल ऑफ इंडिया आई तो जजों के बीच के विवाद को सुलझाने के नाम पर सामने थी. उसने विवाद से राजनीति को दूर रखने की सलाह भी दी. लेकिन राजनीति से दूर रहने की सलाह में भी राजनीतिक रुझान को बार काउंसिल के अध्यक्ष छिपा नहीं सके.

मन्नन कुमार मिश्रा ने कहा कि यह दुखद है कि हमने राहुल गांधी और दूसरे राजनीतिक दलों को न्यायपालिका के बारे में बोलने का मौका दिया है. उन्होंने कहा, ‘मैं राहुल गांधी और दूसरी पार्टियों से अपील करूंगा कि वे इस मामले का राजनीतिकरण ना करें.’ उन्होंने बातों बातों में एक खास नेता का नाम लिया और कोई ये न कहे कि एक पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे हैं तो बाकी पार्टियों का भी जिक्र कर दिया.

बार काउंसिल ने कहा कि प्रधानमंत्री और कानून मंत्री ने कल ही कह दिया था कि यह न्यायपालिका का अंदरुनी मामला है, और सरकार इसमें शिरकत नहीं करेगी. काउंसिल के मुताबिक यह संस्था सरकार के इस कदम का स्वागत करती है. इस कदम का स्वागत करते हुए मन्नन कुमार ने उस पूरी बयान बाज़ी पर कोई टिप्पणी नहीं की जो बीजेपी के अनुषांगिक संगठन और मीडिया को संघ समर्थित पत्रकार कर रहे हैं.

उन्हें संघ परिवार और सोशल मीडिया सेल द्वारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों के चरित्र पर किए जा रहे हमलों और उससे न्यायपालिका की साख पर पड़ने वाले बुरे असर पर कोई विचार ही व्यक्त नहीं किया.

ये समझ नहीं आया कि राहुल गांधी की टिप्पणी जो की न्यायाधीशों पर सीधा हमला नहीं थी इन वकीलों को न्याय पालिका में दखलंदाज़ी लगी और सार्वजनिक रूप से की जा रही न्याय पालिका की अवमानना पर ये चुप रहे.

फिलहाल बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एकमत से 7 सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है. यह प्रतिनिधिमंडल सुप्रीम कोर्ट के जजों से मुलाकात करेगा. बार काउंसिल ने कहा कि वह इस विवाद का जल्द से जल्द  समाधान चाहते हैं.

राहुल गांधी ने ये कहा था

बता दें कि इस मामले के सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यायाधीशों द्वारा जतायी गयी चिंता को ‘‘बेहद महत्वपूर्ण’’ बताते हुए न्यायमूर्ति बी एच लोया की रहस्यमय मौत की जांच की मांग की थी. लोया की मौत 2014 में तब हुई थी जब वह सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे लेकिन बाद में बरी हो गए. राहुल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि चारों न्यायाधीशों ने बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है. इन पर गहराई से ध्यान देने की जरूरत है.’’

इधर भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाने वाले उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने आज (13 जनवरी) कहा कि ‘‘कोई संकट नहीं है.’’ न्यायमूर्ति गोगोई एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आये थे. कार्यक्रम के इतर उनसे पूछा गया कि संकट सुलझाने के लिए आगे का क्या रास्ता है, इस पर उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘कोई संकट नहीं है.’’ यह पूछे जाने पर कि उनका कृत्य क्या अनुशासन का उल्लंघन है, गोगोई ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि ‘‘मुझे लखनऊ के लिए एक उड़ान पकड़नी है. मैं बात नहीं कर सकता.’’ उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश राज्य विधिक सेवा प्राधिकारियों के पूर्वी क्षेत्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आये थे.