मोदी के लिए एक और बुरी खबर, मेक इन इंडिया महाफेल, औद्योगिक उत्पादन दर माइनस में पहुंची


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नई दिल्ली : देश में स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया के ज़रिए उत्पादन बढ़ाने और विकास को आसमान पर ले जाने के दावे करके विकास के मसीहा बने पीएम मोदी के राज में औद्योगिक उत्पादन ऊपर जाने की जगह नीचे गिर रहा है. उसकी ग्रोथ रेट नकारात्मक हो गई है. औद्योगिक उत्पादन (इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन) के जून के आंकडे केन्द्र सरकार के लिए बेहद बुरे हैं. केन्द्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन जून महीने में माइनस -0.1 फीसदी की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी माह यह 8 फीसदी बढ़ा था.

अप्रैल-जून तिमाही में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि घटकर 2 फीसदी रह गई जो कि पिछले साल समान तिमाही में 7.1 फीसदी रही थी. गौरतलब है कि मई के आर्थिक आंकड़ों में भी आईआईपी के आंकड़े बेहद कमजोर रहे. मई में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन(आईआईपी) के आंकड़े अप्रैल के 3.1 फीसदी के स्तर से गिरकर मई में महज 1.7 फीसदी थे.

कैसे गिरे फैक्ट्री के आंकड़े

माह दर माह आधार पर जून में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 1.2 फीसदी से घटकर महज -0.4 फीसदी रही. माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ मई के -0.9 फीसदी के मुकाबले 0.4 फीसदी हो गई. वहीं माह दर माह के आधार पर जून में पॉवर सेक्टर की ग्रोथ 8.7 फीसदी से घटकर मात्र 2.1 फीसदी रही.

वहीं माह दर माह आधार पर जून में कैपिटल गुड्स प्रोडक्शन -3.9 फीसदी के मुकाबले -6.8 फीसदी रहा. जून में कंज्यूमर ड्युरेबल्स का प्रोडक्शन -4.5 फीसदी से बढ़कर -2.1 फीसदी रहा. वहीं कंज्यूमर नॉन-ड्युरेबल्स का उत्पादन 7.9 फीसदी से घटकर 4.9 फीसदी रहा.

मार्च 2017 में आईआईपी के आंकड़े 2.7 पर थे और अप्रैल के दौरान इसमें बढ़त दर्ज हुई थी. लेकिन फिर मई के आंकड़े सरकार को इंडस्ट्री की कमजोर स्थिति को बयान कर रहे हैं. मई के आंकड़ों के मुताबिक माइनिंग सेक्टर में कम मांग और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आउटपुट में गिरावट के चलते यह आंकड़े खराब रहे हैं.

देश में आर्थिक गतिविधि मापने के लिए ये आंकड़े बेहद अहम हैं

केन्द्रीय सांख्यिकी विभाग (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने के दौरान आईआईपी के आंकड़े 3.1 फीसदी थे जबकि मार्च में यह आंकड़े 2.7 फीसदी थे.

गौरतलब है कि पिछले महीने और इस महीने आए ये आर्थिक आंकड़े इसलिए भी बेहद अहम हैं क्योंकि केन्द्र सरकार ने मई से इन आंकड़ों को मापने के लिए कीमतों का बेस ईयर 2004-05 से बढ़ाकर 2011-12 कर दिया था. लिहाजा, इस बार यह आंकड़े पुराने आंकड़े की अपेक्षा देश की इंडस्ट्रियल सेक्टर का ज्यादा सटीक आंकलन कर रहे हैं.