एक गूंगी गुड़िया जो चंडी बन गई. इंदिरा के राजनीतिक सफर की दास्तान


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नई दिल्ली : किसी ने उसे गूंगी गुड़िया कहा तो किसी ने चंडी लेकिन वो जो भी थी उसके बराबर इतिहास में कोई और होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. उसने जो कर दिया वो पूरे विश्व में कोई कर पाएगा इसमें शक है. आज उसका इंदिराम्मा यानी इंदिरा गांधी का 100 वां जन्मदिन है.

इंदिरा को हालांकि सत्ता विरासत में मिली थी, लेकिन हालात सबसे मुश्किल थे. वैसे ही बल्ला तो कोई हाथ में थमा दे लेकिन खेलना खुद ही पड़ता है. लेकिन इंदिरा खूबे खेलीं और जमकर खेलीं.

इंदिरा आज से ठीक 100 साल पहले 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में पैदा हुईं थीं. पढ़िए वो बातें जो इंदिरागांधी को इंदिरा गांधी बनाती थीं. . .

इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री तो बन गईं, लेकिन पार्टी में बगावत हो गई. मोरारजी देसाई पार्टी के फैसले से नाराज हो गए. हालांकि मोरारजी देसाई और इंदिरा के आंकड़े हमेशा छत्तीस के रहे, फिर भी इंदिरा ने मोरारजी देसाई को उपप्रधानमंत्री बनाया था.

प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा बहुत सहज नहीं थीं. भाषण और संसद में बहसबाजी से बचना चाहती थीं. कम बोलती थीं. 1969 में उनको बजट पेश करना था, वो इंदिरा इतनी डरी थीं कि उनके मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी. इंदिरा गांधी के निजी चिकित्सक रहे डॉ केपी माथुर ने अपनी किताब ‘द अनसीन इंदिरा गांधी’ में ऐसी ही कई बातों का जिक्र किया है.

प्रधानमंत्री बनने के बाद एक या दो साल तक इंदिरा बहुत तनाव में रहीं. वो ऐसे कार्यक्रमों में जाने से बचती थीं जहां उन्हें बोलना होता था. इस नर्वसनेस की वजह से उनका पेट गड़बड़ हो जाता था या उनके सिर में दर्द होने लगता था. इंदिरा की इस असहजता पर विपक्ष हमेशा हमलावर रहा. राम मनोहर लोहिया ने तो इंदिरा को ‘गूंगी गुड़िया’ तक कह दिया था.

इंदिरा गांधी दो-दो मोर्चों पर लड़ रही थीं, विपक्ष के तीखे तेवरों से तो वो निपट भी लेतीं, लेकिन पार्टी के भीतर की बगावत ने उनकी नाक में दम कर रखा था.

इंदिरा गांधी के क्रांतिकारी फैसले…

19 जुलाई 1969 को इंदिरा ने 14 बड़े बैंको का राष्ट्रीकरण कर दिया. जो बैंकिंग सेवाएं बड़े व्यापारियों और किसानों तक ही सीमित थीं अब वो देश की आम जनता और आम किसानों तक पहुंचने लगीं.

इंदिरा ने भूमिहीन और समाज के कमजोर वर्ग के लिए भूमि सुधार नीति बनाई.

इंदिरा ने हरित क्रांति को बढ़ावा दिया. नतीजा ये हुआ कि पहले जहां भारत को अमेरिका से खाद्यान्न आयात करना पड़ता था, भारत खाद्यान्न निर्यात करने लगा.

पार्टी में आए दिन किचकिच को देखते हुए इंदिरा ने अलग रास्ता ले लिया. कांग्रेस का विभाजन हो गया. मोरारजी देसाई ने कांग्रेस ओ बना लिया. इंदिरा ने कांग्रेस आर बनाई, जिसे बाद में कांग्रेस आई नाम दिया गया.

1971 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा ने गरीबी हटाओ का नारा दिया.

प्रचार के दौरान उन्होंने 36,000 मील की दूरी तय की और 300 सभाओं को संबोधित किया.

इंदिरा की आंधी चली, कांग्रेस आई ने 352 लोकसभा सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाई.

मोरारजी देसाई की कांग्रेस ओ को महज 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा.