डोकलाम में चीन ने फिर शुरू किया सड़क निर्माण, इस बार चुप क्यों है भारत ?

नई दिल्‍ली: प्रधानमंत्री मोदी चीन गए गुपचुप बातें हुईं इससे पहले डोकलाम से भारतीय फौजें हट गई. अब फिर से चीन ने डोकलाम में सड़क बनानी शुरू कर दी है. न भारत सरकार को एतराज है न सेना को वहां भेजा गया है. चैनलों पर भी शांति है. चीन भारत का दुश्मन भी नहीं रहा. चीनी सेना एक बार फिर डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण शुरू कर दिया है, वो भी पिछले टकराव वाली जगह से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर. गौरतलब है कि डोकलाम इलाके को भूटान और चीन दोनों ही अपना अपना इलाका बताते हैं और भारत भूटान का समर्थन करता है.

जून के मध्‍य में भारतीय सैनिकों ने सिक्किम में सीमा पार कर चीनी सड़क निर्माण का काम रोक दिया था. यह सड़क भारत के लिए भू-सामरिक दृष्टिकोण से महत्‍वपूर्ण भारतीय जमीन के उस टुकड़े के पास बन रही थी जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से जाना जाता है. यह इलाका भारत को इसके उत्तर-पूर्वी राज्‍यों से जोड़ता है. इस विवाद को लेकर करीब 70 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के आमने-सामने रही थीं.

उस वक्‍त अधिकारियों ने दिल्‍ली में कहा था कि चीन ने अपने बुल्‍डोजर और सड़क बनाने का अन्‍य सामान हटा लिया है. चीनी अधिकारियों ने कहा था कि सड़क निर्माण का काम मौसम के हालात पर निर्भर करेगा. भारत में बीजेपी समर्थक इसे मोदी की जीत और सफल रणनीति बताते रहे लेकिन अब इसकी हकीकत सामने आ रही है.

अब, पिछले विवादित स्‍थल से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर चीन ने एक वर्तमान रास्‍ते को चौड़ा करना शुरू किया है और इस तरह विवादित डोकलाम पठार पर अपना दावा और मजबूत कर कर रहा है. भारत इस मुद्दे पर भूटान का समर्थन करता है और स्‍पष्‍ट कर चुका है कि वह ऐसे किसी भी निर्माण को बर्दाश्‍त नहीं करेगा जिससे चीन को चिकन नेक तक पहुंच मिल जाए जो कि डोकलाम के ठीक दक्षिण में स्थित है.

अपने पिछले प्रयास में निराशा हाथ लगने के बाद चीन ने अब सड़क निर्माण का सारा सामान विवादित स्‍थल के पूर्व और उत्तर की ओर पहुंचा दिया है. सड़क निर्माण करने वाले कामगारों को इलाके में ले आया गया है जिनके साथ 500 चीनी सैनिक भी हैं, हालांकि ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि ये सैनिक इलाके में स्‍थायी रूप से रहेंगे. चीन का याटुंग शहर इस इलाके से 20 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है जहां सड़क मार्ग से कुछ ही घंटों में पहुंचा जा सकता है. और ना ही चीनी सैनिकों के रहने के लिए किसी भी स्‍थायी स्‍ट्रक्‍चर के निर्माण के संकेत इस इलाके में नजर आते हैं क्‍योंकि सर्दियों में यह इलाका बर्फ से ढंक जाता है और जबरदस्‍त ठंड होती है.

उधर एनडीटीवी ने सेना के सूत्रों के हवाले से खुलासा किया है कि नए सड़क निर्माण का मतलब है बीजिंग क्षेत्रीय दावों को साबित करने पर आमादा है. एक महीने पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने चेतावनी दी थी, ‘जहां तक उत्तरी विरोधी का संबंध है, तो चीन ने अपनी ताकत दिखाना शुरू किया है. ‘सलामी स्लाइसिंह’, यानी धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना, और दूसरे की सहने की क्षमता को परखना, चिंता का विषय है. हमें इस प्रकार की धीरे-धीरे उभरती स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.’ ऐसा लगता है कि सेना प्रमुख का इशारा चीन की ऐसी ही हरकतों की तरफ था.

सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि चीनी द्वारा नई सड़क का निर्माण 28 अगस्त को जब भारत और चीन ने तनाव खत्‍म करने का फैसला लिया था, उसके कुछ दिन बाद ही शुरू हो गया था. चीन का लक्ष्‍य इस ट्रैक का विस्‍तार दक्षिण में टोरसो नाला से लेकर झमपेरी रिज तक करने करने का है, जो कि इलाके का एक प्रमुख स्‍थल है जहां भूटानी सेना का बेस है.(inputs from NDTV )