भारत में हाथ धोने की सुविधा नहीं, कोरोना से कैसे लड़ेगा – यूनिसेफ

जैसे भी भारत सरकार विदेशी आईने में अपना चेहरा देखती है एक बदरंग सूरत नज़र आती है. दाजा मामला करोना का है और भारत की यूनीसेफ ने बेइज्जती कर दी है. यूनीसेफ ने ऐसी बात कह दी है जो कोई भी भारतीय सुनना नहीं चाहेगा लेकिन वो हकीकत है.

संयुक्त राष्ट्र संघ के बाल कोष “यूनिसेफ़” ने कहा है कि लगभग 9 करोड़ 10  लाख भारतीय शहरियों के पास घर में हाथ धुलाई की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

इस संस्था का कहना है कि कोविड-19 जैसी बीमारियों से निपटने के लिए साबुन से हाथ धोना महत्वपूर्ण है.

‘वैश्विक हाथ धुलाई दिवस’ पर जारी एक बयान में यूनिसेफ ने कहा कि साबुन से हाथ न धोने से लाखों लोगों को कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों का खतरा है.

संस्था का कहना है कि मध्य और दक्षिण एशिया में 22 प्रतिशत लोग अर्थात 15.3 करोड़ लोगों के पास हाथ धुलाई की सुविधा का अभाव है. लगभग 50 प्रतिशत या दो करोड़ 90 लाख शहरी बांग्लादेशियों और 20 प्रतिशत या नौ करोड़ 10 लाख शहरी भारतीयों के पास घर में हाथ धुलाई की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

इस वैश्विक इकाई ने कहा कि विश्व में 40 प्रतिशत लोगों अर्थात तीन अरब लोगों के पास घर में पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है.

राष्ट्रीय नमूना सर्वे, 2019 के अनुसार, भारत में सिर्फ 36 फीसदी परिवार भोजन से पहले हाथ धोते हैं जबकि सिर्फ 74 फीसदी शौच के बाद साबुन से अपने हाथ साफ करते हैं.

अमेरिका में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैलुएशन “आईएचएमई” के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में कहा था कि भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया, कांगो और इंडोनेशिया में से प्रत्येक में पांच करोड़ से अधिक लोगों के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं है.

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