एक दवा के अलग अलग दाम क्यों, एक ही टेस्ट बार-बार क्यों ? IMA ने उठाए सवाल

नई दिल्ली : देश भर के डॉक्टरो की सर्वोच्च संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मांग की है कि दवाओं की कीमत में भेदभाव खत्म किया जाए. आईएमए ने कहा है कि एक ही दवा को बाज़ार में अलग अलग नाम से अलग अलग दाम पर बेचा जा रहा है जो गलत है.

संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल ने इस जारी बयान में कहा कि इलाज की कीमतों को कम करने के लिए ऐसे ही अहम बदलाव ज़रूरी हैं.

हाल ही में गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू के मरीज़ के इलाज़ पर पर 15 रुपये के खर्च का मामला सामने आया था जिसके बाद आईएमए ने ये फॉर्मूला दिया है.

डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का राष्टरीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ वो खुद को जन स्वास्थ्य का संरक्षक भी मानते हैं. उन्होंने कहा कि आईएमए एक मान्यता प्राप्त नियामक संस्था नहीं है लेकिन फिर भी वो जनता के हितों का खयाल रखना अपना फर्ज़ समझते हैं.

डॉक्टर अग्रवाल बताया कि डेंगू को हाल ही में एक चिकित्सा दुर्घटना घोषित किया गया है और यह एनसीडीसीसी के निर्णय के अनुसार व्यक्तिगत दुर्घटना दावे के तहत प्रतिपूर्ति योग्य है और साथ ही इस पर मेडिक्लेम का हक बनता है.

उन्होंने कहा कि डेंगू का इलाज मुफ्त होना चाहिए और इसके लिए भुगतान प्रधानमंत्री कोष या मुख्यमंत्री सहायता कोष से किया जाना चाहिए. क्योंकि यह बीमारी राष्टरीय आपदा की तरह है.

फोर्टिस मामले के रोगी समेत अन्य इस तरह के मामलों के बिल सरकार को भेजे जाने चाहिए और सरकार को ऐसे बिल पारित करते समय इस बात की जांच करनी चाहिए कि अस्पताल ने रोगी से ज्यादा बिल वसूला है या नहीं. आईएमए अब इस अवधारणा पर काम कर रही है कि कैसे गहन देखभाल में लागत को कम किया जाए.

 

उदाहरण के लिए पिछली जांच पर भरोसा किया जाए और पहले दिन की जांच को दोहराया नहीं जाए. साथ ही अस्पताल या संबंधित डॉक्टर विशिष्टï जांच करवाएं न कि हर जांच करवाएं.

एक दवा, एक कीमत, एक कंपनी की नीति अपना कर सरकार मरीजों के बिल में 50 फीसदी कमी कर सकती है. इसके अलावा सरकार को समान कंपनी को समान दवा की दो अलग अलग कीमत वसूलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.