धूल और प्रदूषण से बचने के ये हैं कामयाब घरेलू तरीके, एक नज़र में पूरा कोर्स

इन तरीकों को अपना कर आप धूल और प्रदूषण से अपना जीवन बचा सकते हैं. तरीके बेहद मामूली हैं लेकिन कारगर. अगर हमारे कारण दस लोगों की जान बच सके तो समझेंगे कि मेहनत सफल हुई.

घर में करें ये उपाय

एसपीएम 10 यानी धूल कणों को काबू करने का सबसे कारगर घरेलू उपाय है कूलर. कूलर में पानी से भीगी घास के बीच से जब हवा निकलती है तो वो हवा के धूल कणों को खुद में समाहित कर लेती है. नतीजा होता है 80 फीसदी तक धूल का हट जाना. अगर घर में कूलर का इस्तेमाल करते हैं तो इन दिनों ज्यादा करें

पोछा लगाएं झाड़ू नहीं.

चूकि धूल कण आपके फ्लोर पर आ गए हैं, अगर आप उनहें झाड़ू से हटाते हैं तो ज़मीन पर बैठ चुके धूल के कण हवा मे वापस आ जाते हैं . अगर आपके पास वैक्यूम क्लीनर है तो उसका इस्तेमाल करें. नहीं है तो घर के फ्लोर पर पोछा लगाएं.

डस्टिंग नहीं वाइपिंग

अगर आप कपड़े से मार मारकर धूल झड़ाते हैं तो ये काम न करें. कोशिश करें कि हलके गीले कपड़े से धूल को आहिस्ता हटा दिया जाए. इससे आप काफी हद तक घर में प्रदूषण से बच सकते हैं.

खिड़की दरवाज़े बंद रखें

वैसे तो गर्मी है लोग खिड़कियां दरवाजे बंद ही रखते हैं. लेकिन इन दिनों खास एहतियात बरतें. अगर गर्मी ज्यादा है

स्प्रे का इस्तेमाल

अगर गरमी ज्यादा है तो कूलर के साथ साथ आप घर में पानी के स्प्रे का इस्तेमाल र सकते हैं. हवा में मौजूद पानी के कण धूल को भारी बना देते हैं और वो ज़मीन पर बैठ जाती है.

घर से बाहर काम हो तो ही जाए.

घर से बाहर तभी निकलें जब कोई ज़रूरी काम हो. बेकार धूल में घूमना जान पर भरी भी पड़ सकता है. खास तौर पर बच्चों को खेलने बाहर न भेजें. सांस में ताज़ा हवा की जगह ज़हरीली हवा भरने का कोई फायदा नहीं.

मॉस्क से कपड़ा बेहतर

मॉस्क या यो वो हो जो रिकमेंडेडे हो. लेकिन हर म़ॉस्क में एक खतरा हमेशा रहता है. आपके मुंह से निकली कार्बन डाई ऑक्साइड आपकी सांस से वापस जाती है. एक तरफ से आप बचते हैं और दूसरी तरफ से कार्बन डाई ऑक्साइड फेफड़ों में घुस जाती है. अगर आप कपड़ा इल्तेमाल करें तो थोड़ा कसकर रखें यानी कपड़े से छनकर हवा तो नाक के अंदर जाए लेकिन बाहर जो हवा निकले वो बाहर निकल जाए. बेहतर हो कि सिर्फ नाक ही कवर की जाए.

सरकार ये करे

दिल्ली में चल रहे सभी तरह के कंस्ट्रक्शन के काम पर फ़ौरन टेम्परेरी रोक लगाने की ज़रूरत है.

वाहनों की संख्या में कमी की जानी चाहिए. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्रोत्साहन देने की ज़रूरत.

पेड़ों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए. ज़्यादा से ज़्यादा वृक्षारोपण होना चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायीं गयी EPCA को कड़े कदम उठाने की ज़रूरत.

प्रेग्‍नेंट महिलाएं रखें खास ध्‍यान:

प्रेग्‍नेंट महिलाओं को भी इस मौसम में अपना खास ध्‍यान रखना चाहिए. अगर प्रेग्‍नेंट महिलाएं धूल भरी आंधी की चपेट में आती हैं, तो उनके साथ-साथ बच्‍चे के स्‍वास्‍थ्‍य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. इस जहरीली हवा में सांस लेना अजन्में बच्चे के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.

बच्‍चों-बुजुर्गों के लिए बेहद घातक

मौसम के ये बिगड़े तेवर और धूल भरी आंधी लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहद घातक सिद्ध हो सकती है. इन दिनों उत्‍तर भारत और खासतौर पर दिल्‍ली-एनसीआर में जो आंधी चल रही है, उसमें पीएम 2.5 की मात्रा 6 से 7 गुना ज्यादा बढ़ गई है. ऐसी स्थिति में फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंच सकता है. धूल भरा ये मौसम मासूम बच्चों और बुजुर्गों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है. बच्चों और बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता, जिसके चलते दोनों ही जहरीली हवा और मौसमी बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाते हैं.

दमा और दिल के मरीज रहें बचकर:

दमा के मरीजों को इस धूल भरे मौसम में खास ध्‍यान रखने की जरूरत है. दमा वालों के लिए ये मौसम जानलेवा हो सकता है. दिल के मरीजों की दिक्कतें भी ऐसे दूषित हवा के चलते बढ़ जाती है. अगर किसी को धूल से एलर्जी है, तो वे भूलकर कर भी उस समय घर से बाहर ना निकलें जब धूल भरी आंधी चल रही हो. आम लोगों को भी धूल भरी आंधी में निकलने से बचना चाहिए, क्‍योंकि इससे त्‍वचा, आंखें, गला, नाक और कान प्रभावित हो सकते हैं.

Leave a Reply