दिग्विजय सिंह के जन्मदिन पर एक पत्रकार की बधाई, इनको मिया क्यों कहते हैं दिग्गी राज़ा

रिज़वान अहमद सिद्दीकी, ग्रुप एडिटर डिजिआना मीडिया ग्रुप

दिग्विजय कहना ही काफ़ी है… सिंह जैसा नाम वैसा व्यक्तित्व मतलब हर दिशा और दशा में कामयाब होना. अनूठा प्रण सरकार नही बनी तो 10 बरस कोई पद नही लूंगा और उन्होंने ये कर भी दिखाया 10 बरस तक न फिर केंद्र सरकार में सक्रिय हुये और न ही कोई चुनाव लड़ा. सूचनाओं का इतना शानदार तंत्र कि जो कहा उसे साबित किया जिसके कुछ उदाहरण है जैसे उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विवाहित हैं और उन्होंने अपने निर्वाचन नामांकन पत्र में ये जानकारी छिपाई है किसी को विश्वास नही हुआ फिर ये रहस्य उजागर हो गया. मुंबई का ठाकरे परिवार के निशाने पर उत्तरभारतीय रहे हैं अचानक उन्होंने कहा ठाकरे ख़ुद उत्तर प्रदेश के हैं और कुछ शोर शराबे के बाद एकाएक सन्नाटा छा गया ठाकरे उसे कभी झुठला नही पाये. इसी तरह दिग्विजय सिंह बोले शहादत के पहले शहीद पुलिस अफ़सर हेमन्त करकरे ने उन्हें बताया था कि उन्हें ख़तरा है, बहुत बवाल मचा और फिर दिग्विजय सिंह ने कॉल डिटेल सार्वजनिक कर एक बार फिर अपने दावे को मज़बूत कर दिया ऐसे अनेक उदाहरण है जब दिग्विजय सिंह जो बोले वो पत्थर की लकीर साबित हुआ.

विवादों से भी उनका गहरा नाता रहा है अपनों और परायों के बीच वो हमेशा चर्चा में रहे हैं अगर मध्यप्रदेश की चुनावी सियासत की बात करें तो तीन बार वो जीत की प्रमुख वजह बने तो तीन बार हार की वो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे और पूरे प्रदेश में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की अलख जगाई अपदस्थ की गई बीजेपी की सुंदरलाल पटवा सरकार के बाद राममंदिर लहर के बावजूद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कश्मकश के बाद 1993 में दिग्विजय सिंह मप्र के मुख्यमंत्री बन गये इसके बाद एक बार और उनके नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी वो इकलौते कांग्रेस नेता है जो दस साल तक मुख्यमंत्री रहे. उनकी सरकार में कमलनाथ बड़े भाई की तरह सदैव उनके साथ रहे हाल ही में उन्होंने कहा कमलनाथ का उन पर बड़ा अहसान है और वो उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहते है , पूछा गया अहसान चुकाना चाहते हैं तो हाज़िर जवाब दिग्विजय सिंह बोले इससे अहसान कैसे चुकेगा.

मेरी उनसे अनेक यादें वाबस्ता हैं उनकी याददाश्त का जवाब नही तक़रीबन 30 बरस से वो मुझे जानते हैं ज़ाहिर हैं मै तो उन्हें और पहले से जानता हूँ उनका आकर्षक व्यक्तित्व उन्हें दूसरों से भिन्न बनाता है . यह मै नही जानता क्यों लेकिन जब मैंने उन्हें पहली बार देखा था तो मै बहुत युवा था वो मुझे स्वर्गीय राजीव गांधी के भाई की तरह लगे थे. मै उनकी याददाश्त का ज़िक्र कर रहा था वो एक ऐसा नेता हैं जिन्हें प्रदेश के हर क्षेत्र के नेता ही नही कार्यकर्ता , पत्रकार , समाजसेवी आदि के नाम ज़बानी याद होंगे.

मुझे अक्सर वो मेरे नाम की बजाय मिया कहकर पुकारते है. इसी माह अचानक उनसे रायपुर में भेंट हो गई वो छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रबोधन के कार्यक्रम में सम्मिलित होने गये थे और मै अपने चैनल के टूर पर गया था. मिलते ही तपाक से बोले अस्सलाम अलैहकुम जनाब मैने भी उन्हें उसी लहजे में जवाब दिया और देर तक सोचता रहा ग़ज़ब इंसान हैं उस वक़्त उनकी पत्नी वरिष्ठ पत्रकार अमृता जी भी उनके साथ थीं. ये पहला मौका नही है जब उन्होंने हमें चौकाया था विधान सभा चुनाव के पहले इंटरव्यू के सिलसिले में हम उनसे मिले उन्होंने मुझसे मेरे तीन चार मोबाइल नम्बर और ईमेल एडरेस का उल्लेख करते हुये पूछा यही है या इसमें कुछ बदलाव है. ये सब उनके मोबाइल में दर्ज था, जबरदस्त नेटवर्क है उनका.

मेरे फ़ारेस्ट ऑफिसर पिता के तबादले के लिये उनके ताक़तवर केबिनेट मंत्री का अड़ जाना और उनका न मानना फिर मुझसे उस मसले पर मशवरा करना और मेरी राय का सम्मान करना ग़ज़ब हैं दिग्विजय सिंह ये उनकी इच्छा शक्ति और इंसाफ़ को भी दर्शाता है , उन्होंने 192 दिनों तक, यानी छह महीने से भी लंबे समय तक नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा करके राज्य में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को नए उत्साह से भर दिया था.

3,300 किलोमीटर की यात्रा के दौरान करीब 140 विधानसभा क्षेत्रों तक वो पहुंचे इस दौरान मैने भी एक दिन उनके साथ बिताया इंयरव्यू में भी उन्होंने कोई राजनितिक बात नही की यात्रा के अनुभव का ज़िक्र किया वो अपने पड़ाव से निकलते और देखते देखते कुछ ही समय में उनका कारवाँ स्थानीय लोगों के बड़े समूह में तब्दील हो जाता. मुझे अपने एक पारिवारिक वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होना था तो मेरी पत्नी भी मेरे वाहन में थीं उन्हें जैसे ही पता चला कि वो भी साथ हैं तो उन्होंने उन्हें भी भुलवा भेजा और जब डॉ नुज़हत याने मेरी पत्नी उनकी यात्रा में पहुंची तो दिग्विजय सिंह जी ने बड़ी शालीनता ने से अपना परिचय दिया बरबस हमारे मुंह से निकल आया आपको कौन नही जानता. वो चलते चलते रुके बोले आओ फ़ोटो खिंचवाते हैं फिर बोले रुको अमृता भी आ जायें फिर खिंचवाते हैं इस तरह हम फिर आगे बढ़ गये तक़रीबन 2 किलोमीटर आगे बढ़ने के बाद उन्होंने ज़ोर से मुझे पुकारा अमृता जी और उनके के साथ हमारी फ़ोटो खिंची और फिर हमने उनसे इज़ाज़त ली.

अपनी प्रशासनिक कसावट का लोहा मनवाने वाले दिग्विजय सिंह अपनी सत्ता के आख़िरी दौर में सड़क बिजली पानी को लेकर विपक्ष के निशाने पर आये जनता का उन्हें कोपभाजक बनना पड़ा कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा उनकी पराजय की सबसे बड़ी वजह बनी बिजली. जिस प्रदेश में सरप्लस बिजली थी उनके शासन काल में गरीबों को एक बत्ती मुफ़्त बिजली कनेक्शन मिला था फिर बिजली आपूर्ति इतनी बुरी तरह से क्यों ध्वस्त हो गई ये सवाल हमेशा कौंधता है , गुटीय सियासत में उनके विरोधी माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता राजेंद्र तिवारी ने एक परिचर्चा में मुझसे कहा छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मप्र के साथ अन्याय किया उसे बिजली नही दी और इसलिये दिग्विजय सिंह विरोधियों की ज़बानी मिस्टर बंटाधार बन गये.

दिग्विजय सिंह कमलनाथ सरकार में किंगमेकर की भूमिका में हैं कभी कमलनाथ भी उनकी सरकार में किंगमेकर कहलाते थे. अपनी वाकपटुता और साफ़गोई की वजह से कई दिग्गज उनके निशाने पर होते हैं तो कभी वो भी निशाने पर होते है. विधानसभा में मंत्रियों के जवाब पर उनका सार्वजनिक ऐतराज़ , विपक्षियों की घेराबंदी या अपने विधायकों को साधना चुनाव के पहले संगत में पंगत कर समन्वय बना भीतरघात समाप्त कर कांग्रेस की सरकार बनना हर जगह एक ही नाम प्रमुखता से आता है वो है दिग्विजय सिंह.

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