जितने आपने कपड़े नहीं बदले उतनी वो कार चुरा चुका था, हवाई जहाज से आकर करता था चोरी


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नई दिल्ली : वो फ्लाइट में बैठकर आता था. गाड़ियां चुराता था और निकल लेता था. हैदराबाद के इस चोर ने अपने इसी हाई प्रोफाइल अंदाज़ में 500 से ज्यादाद लक्जरी कारों पर हाथ साफ किया था. दस लाख से नीचे की गाड़ी को तो वो छूता तक नहीं था. पिछले पांच साल में उसने इतनी गाड़ियां चुराई जितने कपड़े नहीं बदले होंगे. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि यह शातिर चोर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी हैदराबाद से लग्जरी कारें चोरी करने दिल्ली आता था और वह भी फ्लाइट से.

इसके बाद फ्लाइट से ही वह हैदराबाद भी जाता था. इस शातिर चोर पर पुलिस ने पांच लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. इस शातिर चोर का नाम सफरुद्दीन है और उसका एक गैंग भी है जो हैदराबाद में गाड़ी चोरी को अंजाम देता है. यह चोर तीन अगस्त को दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा था.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, चोरी के दौरान शातिर चोर सफरुद्दीन उत्तरी दिल्ली के नंद नगरी इलाके में कुछ दिन रुकता था. कहीं वह पुलिस की पकड़ में आ जाए, इसलिए फ्लाइट पकड़कर अपने साथियों के साथ वापस हैदराबाद चला जाता था. इसके कुछ दिन बाद फिर मौका पाकर वापस दिल्ली आता था और फिर लग्जरी कारें चुराता था.

सफरुद्दीन अपने सहयोगी मोहम्मद शरीक और अन्य गैंग के साथी के साथ हैदराबाद से दिल्ली हवाई जहाज से ही आता था. इस दौरान चोरों के कपड़े किसी बिजनेसमैन की तरह होते थे.

पुलिस सूत्रों की मानें तो शातिर चोरों का यह गैंग हैदराबाद से हवाईजहाज से दिल्ली आता था और वारदात को अंजाम देने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए फिर हवाई जहाज से ही वापस जाता था. इस गैंग में कई शातिर चोर हैं और सभी अलग-अलग समूहों में हैदराबाद से फ्लाइट के जरिये ही दिल्ली आते थे और चोरी के बाद वापस लौट जाते थे.

पुलिस के डिप्टी कमिश्नर राजेश देव ने बताया कि रोज की तरह पुलिस मुस्तैद थी. तीन अगस्त को भी रुटीन चेकिंग के दौरान इंस्पेक्टर नीरज चौधरी और एसआइ कुलदीप ने गगन सिनेमा के पास एक गाड़ी को रोका. पुलिस ने पूछताछ के दौरान पाया कि इसका नाम सफरुद्दीन है, लेकिन इस बीच वह भागने लगा. मुस्तैद पुलिस ने तत्काल पीछाकर प्रगति मैदान से गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने सफरुद्दीन से पूछताछ के आधार पर बताया कि उसने अपने गैंग के साथियों की मदद से प्रत्येक वर्ष 100 लग्जरी कारों की चोरी का टारगेट बनाया था.

 

पुलिस से पूछताछ में सफरुद्दीन ने बताया कि जिस गाड़ी को चुराना होता था उसे पहले चिन्ह्ति कर लिया जाता था. इसके बाद खड़ी गाड़ी को चुरान के लिए सॉफ्टवेयर, जीपीएस और लॉकिंग सिस्टम को तोड़ने के लिए वे अपने साथ लैपटॉप, हाई टेक गैजेट्स और टूल्स लाते थे. इसके बाद कुछ ही देर में गाड़ी चुरा लेते थे. पुलिस की नजर में न आए, इसलिए चोरी के एक-दो दिन बाद ही वे फ्लाइट से हैदराबाद वापस लौट जाते थे.

 

उत्तरी जिला के स्पेशल स्टाफ के मुताबिक, इनके पास से गाड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल (इसीएम) स्कैनर, गाड़ी खोलने के यंत्र सहित ताले और 64 चाबियां मिली थीं. ये शातिर ब्लूटूथ स्कैनर से इसीएम को निष्क्रिय कर गाड़ी चोरी कर लेते थे. पुलिस ने इनकी निशानदेही पर मेरठ व मुरादनगर से चोरी की 10 महंगी कारें बरामद की थीं.

 

पिछले दिनों पूर्वी जिला पुलिस ने गत माह प्रीत विहार में डकैती की दो बड़ी वारदात करने वाले और एएसआइ को गोली मारने वाले छह बांग्लादेशी बदमाशों को गिरफ्तार किया था. इनकी गिरफ्तारी पर पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने पूर्वी जिला पुलिस की टीम को मुख्यालय बुलाकर उनकी पीठ थपथपाई थी.

 

डीसीपी पूर्वी जिला पंकज कुमार के मुताबिक, गिरफ्तार बदमाशों के नाम अप्पन उर्फ सलीम (40), इस्लाम (32), इकराम उर्फ मकबूल (30), सुहैल (28), हारून (46) और सुल्तान शेख (29) है. अप्पन ही गिरोह का सरगना है. पुलिस ने इन बदमाशों को गिरफ्तार कर छह वारदात सुलझाने का दावा किया है. गत माह प्रीत विहार में माह भर में तीसरी वारदात को अंजाम देते समय दिल्ली पुलिस के एएसआइ लोकेश व होमगार्ड सतीश ने एक बदमाश को दबोच लिया. इस बीच दूसरे बदमाश ने लोकेश के कंधे पर गोली चला दी थी. इसके बाद से पुलिस का इस गिरोह पर शक गहरा गया था.

 

इंस्पेक्टर मनिंद्र सिंह ने छह ब्लॉक के सभी 22 गेटों पर सादे कपड़ों में एक-एक पुलिसकर्मी तैनात कर दिए थे. साथ ही स्पेशल स्टाफ व वाहन चोरी निरोधक दस्ता भी जुटा हुआ था. 26 जुलाई की रात को पुलिस को प्रीत विहार के जी ब्लॉक के पास रेलवे लाइन किनारे एक बैग मिला. बैग में मिले कुछ दस्तावेजों से पुलिस को बदमाशों के कानपुर में होने का सुराग मिल गया. इस पर स्पेशल स्टाफ की टीम कानपुर गई.

 

इंस्पेक्टर विदेश सिंघल, डीपी सिंह, एसआइ अरुण सिंधु, केके शर्मा, एएसआइ मनोज व जोगिंदर ढाका की टीम ने पहले इकराम को कानपुर सेंट्रल से दबोच लिया. इस्लाम व सुहैल को भी कानपुर के अन्य इलाकों से पकड़ा गया. तीनों से पूछताछ के बाद अप्पन, सुल्तान और हारून को भी सोमवार को गाजियाबाद के अलग-अलग जगहों से दबोच लिया गया. इनके पास से दो तमंचे व बांग्लादेशी पासपोर्ट के अलावा दस लाख के जेवरात बरामद किए हैं.

 

प्रीत विहार में व्यवसायी के घर डाला था डाका

गत छह और आठ जुलाई को प्रीत विहार इलाके में बदमाशों ने डकैती और चोरी की दो बड़ी वारदात की थी. पॉश कॉलोनी ए ब्लॉक में छह जुलाई को इन बदमाश व्यवसायी के घर में डकैती डालकर 15 लाख नगदी व इतनी ही रकम के जेवर ले भागे थे. आठ जुलाई को फिर इस गिरोह ने एक घर में चोरी की वारदात को अंजाम दिया था. तीसरी वारदात बांग्लादेशी 27 जुलाई को प्रीत विहार के जी ब्लॉक में करने की कोशिश की थी. बताया जा रहा है कि इकराम बचपन में मंडावली में रहता था. उसके पिता अभी भी वहीं कबाड़ी का काम करते हैं. बदमाश रेलवे लाइन के किनारे बनी कॉलोनियों को निशाना बनाते थे. बदमाशों ने गत साल 15 व 16 दिसंबर को केरल व 25 जुलाई को बेंगलुरु में वारदात को अंजाम दिया था.

 

वारदात करके केरल भाग जाते थे

बदमाश दिल्ली में वारदात करने के बाद केरल भाग जाते थे. वहां वारदात करने के बाद बेंगलुरु भाग जाते थे. गिरोह के सदस्य हाल ही में बेंगलुरु में भी वारदात कर दिल्ली आ गए थे. ये सभी पार्को व जंगलों में दिन बिताते और रात में वारदात करते थे. कभी-कभी झुग्गियों में रहने वाले बांग्लादेशियों के यहां भी ठहरते थे.

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