बजट में ये सबसे अमानवीय कदम उठा सकती है सरकार, गरीबो को मीठा ज़हर देने की तैयारी


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नई दिल्ली : बजट आज आए या कल लेकिन सरकार की स्कीम देश के लोगों को धीरे से ज़ोर का झटका देने की है. इस बात की परी संभावना है कि सरकार सारी सब्सिडी बंद कर दे. जानकारों का कहना है कि सरकार एक नयी योजना ला रही है जिसमें सभी गरीब लोगों को दी जाने वाली जन कल्याणकारी सब्सिडी को बंद कर दिया जाएगा. यह निशुल्क शिक्षा, भोजन, अथवा मुफ्त स्वास्थ्य  सेवाओं की राशि के बदले दिया जाने वाला पैसा है. बो सकता है कि इंदिरा आवास योजना, मनरेगा, पीडीएस जैसी योजनाओं को धीरे धीर बंद कर दिया जाए. इसके बदले में सरकार यूनीवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लाने की बात कर रही है. इस स्कीम का मतलब है कि सभी को साल में 10 से 15 हज़ार रुपये की एक मुश्त राशि दे दी जाए. इसके बाद सभी सब्सिडी की योजनाएं बंद कर दी जाएं.

लेकिन सरकार इस योजना के सब्सिडी खत्म करने वाले हिस्से को छिपा रही है और बार बार एकमुश्त आय योजना का जिक्र किया जा रहा है. बुधवार को संसद में बजट पूर्व 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में राष्ट्र पति प्रणब मुखर्जी ने भी इसका जिक्र किया.

आइए जानते हैं क्याे है यूनिवर्सल बेसिक इनकम की यह योजना? भारत के लिए कितनी जरूरी है यह? और यदि मोदी सरकार इसे लागू करती है, तो देश के खजाने पर इसका कितना बोझ पड़ेगा?

क्याज है बेसिक इनकम?

बेसिक इनकम के रूप में सरकार बिना किसी काम के हर व्यकक्तिो को एक निश्चि त नकद राशि देती है. ऐसा पैसा विशेष रूप से गरीबों और बेरोजगारों के खाते में मासिक अथवा वार्षिक रूप से सीधे जमा किया जाता है. सरकार इस पैसे के बदले में ना तो कोई काम करवाती है और ना किसी तरह की सेवा लेती है. इस तरह की आय चूंकि प्रत्येनक व्य क्तिन को पाने का अधिकार होता है, इसलिए इसे वैश्विाक आय भी कहा जाता है. मुख्यर आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यिम का बयान है कि सरकार देश में हर व्यकक्ति  के खाते में सालाना 10000 से 15000 रुपये की राशि जमा करने की योजना बना रही है.

बेसिक इनकम लाभ या वस्तुत की बजाय नकद वितरित की जाती है. यह निशुल्क0 शिक्षा, भोजन, अथवा मुफ्त स्वायस्य्जा  सेवाओं की राशि के बदले दिया जाने वाला पैसा होता है.

यदि भारत में यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू किया जाता है, तो इसे गरीबों के लिए चलाई जाने वाली कई सारी योजनाओं के विकल्पक के रूप में लाया जा सकता है. इसके अंतर्गत इंदिरा आवास योजना, मनरेगा, पीडीएस जैसी योजनाओं का पैसा सीधे गरीबों के खाते में जमा किया जाएगा.

यूनिवर्सल बेसिक इनकम लाने के पीछे सरकार की मंशा रोजगार सृजन के तरीकों को बदलना है, क्योंरकि देश में आने वाले 20 सालों में मौजूदा कई क्षेत्रों में 68 फीसदी नौकरियां खतरे में होंगी. सरकार इसके जरिये आय का एक निश्चिलत जरिया पैदा करना चाहती है .

यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्की म, भारत में 2011 में मध्य  प्रदेश के 8 गांवों में पहली बार लागू की गई. जहां सरकार ने महिलाओं, पुरुषों और बच्चोंह सभी को ही नकद पैसे दिए. प्रारंभिक तौर पर प्रत्येसक युवक को 200 रुपये, तो वहीं बच्चोंत को 100 रुपये की राशि का भुगतान किया गया. बाद में सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 300 और 150 रुपये कर दिया गया. इसमें दो प्रोजेक्टि का पैसा यूनिसेफ की ओर से दिया गया.

यूनिसेफ के इस प्रोजेक्टय से जुड़े और ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टेडीज के डॉ. गाय के मुताबिक मध्यन प्रदेश में यह प्रयोग सफल माना जा सकता है. इससे न केवल लोगों को आसानी से खाना मिला बल्किश उनके स्वा स्य्है  और पोषण भी सुधरा, जबकि बच्चोंो ने स्कूभल जाने में भी रुचि दिखाई. वे कहते हैं- बेसिक इनकम की वजह से न केवल छोटी बचत योजनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई, बल्किे लोग कर्ज मुक्त  भी हुए.

देश में इस स्कीउम को लेकर एक आम सहमति दिखाई नहीं देती. जानकारों का मानना है कि केवल बेकारी के बदले और किसी भी तरह का काम-धंधा नहीं करने वालों को सरकार के इस तरह से पैसे बांटने से जनता के एक वर्ग में नाराजगी फैल सकती है, जबकि निशुल्क  स्वाेस्य्ेक , शिक्षा, भोजन व अन्यन सुविधाओं की योजनाओं को बंद करने के परिणाम भी अच्छेज नहीं होंगे.