मोदी के एक दस्तखत से दूर हो सकती है बेरोज़गारी, पकौड़े नहीं ऐसे मिलेगा रोज़गार

एक करोड़ रोज़गार देने का वादा करने वाले प्रधानमंत्री तरह तरह की बातों की जुगाली कर रहे हैं . कभी वो कहते हैं कार बिकी तो सबको ड्राइवर की नौकरी मिली इससे रोज़गार पैदा हुए तो कभी कहते हैं पकौड़े बेचना भी रोज़गार है. नितिन गडकरी कहते हैं कि नौकरी हैं कहां . अब आरक्षण लेकर क्या करोगे नौकरी तो है नहीं.

लेकिन पत्रकार पुण्यप्रसून वाजपेयी ने देश के कर्ताधर्ताओं की इस अदा के छिलके उतारकर अंदर कितना गूदा  है ये दिखाया है. उन्होंने कुछ आंकड़े ट्वीट किए हैं . ये आंकड़े कहते हैं  की रोज़गार आप देना ही नहीं चाहते वर्ना नौकरियां तो आपकी जेब में रखी हैं मोदी जी . बहरहाल प्रसून यानी पुण्यप्रसून वाजपेयी के आंकड़ों पर नज़र डालते हैं.

प्रसून कहते हैं इससे बेरोज़गारी तो बढ़ ही रही है देश का सिस्टम भी लचर हो गया है. जब लोग ही नहीं होंगे तो काम कैसे होगा. उन्होंने जो आंकड़े बताए हैं उनके मुताबिक देश भर में

पुलिस में  4 लाख 43 हज़ार 524 पद खाली हैं.  सेना और अर्धसैनिक बलों में मिलाकर  65,699 जगहें भरी जानी है. शिक्षा का हाल भी खराब है.  सरकारी शिक्षकों की 10 लाख 27 हज़ार 413 जगहें काली हैं. गांवों में  डॉक्टर और नर्स के 72,150पद खाली पड़े हैं और लोग बिना इलाज के मर रहे हैं या इलाज के लिए शहरों में आने को मजबूर है. इतना ही नहीं  पोस्ट आफिस में 49,349 और सरकारी बैंकों में 16,560 जगहें खाली पड़ी हैं.

 

प्रसून पूछते हैं कि क्या बेरोज़गारों के पास सिर्फ पॉलिटिकल पार्टियों की नौकरी का रास्ता छोड़ेगी सरकार . उन्होंने लिखा कि चुनाव को ही देश का मिशन बना दिया गया है. शिक्षा की खराब हालत तो है ही  सेन्ट्रल यूनिवर्सिटियों में  1219 जगह खाली पड़ी हैं. इसके अलावा आईआईटी में 2669 पद खाली है. एनआईटी में 1507 पद रिक्त हैं और तो और  आईपीएस/आईएएस की   2434 जगहें सरकार की इजाजत का इंतज़ार कर रही है.

पुण्यप्रसून वाजपेयी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मोदी के हर मंत्री के अधीन पद खाली है और देश में पकौड़े को रोज़गार बताया जा रहा है. इसके बावजूद प्रधान सेवक बेफिक्र हैं.  उनके आंकड़ों के मुताबिक गृह मंत्रालय-72 हज़ार 316 पद खाली हैं,  कृषि मंत्रालय में  2049 पद नियुक्तियों के इंतज़ार में हैं. एटोमिक एनर्जी विभाग-4761, कारपोरेट मंत्रालय—1097, अर्थ/साइंस टेक्नॉलाजी 9480, पर्यावरण/वन-2038, विदेश/आईटी मंत्रालय-2554, उच्च शिक्षा विभाग-464, जल संसाधन/नदी विकास-4151 और शहरी विकास मंत्रालय में 1985 पद खाली हैं.

सवाल इस बात का है कि खुद 20 लाख के करीब नौकरियां तो सरकार की अपनी खाली पड़ी हैं. ऐसे में पकौड़े बेचने को रोज़गार के तौर पर गिनाने की क्या मज़बूरी हो सकती है.  बुरी बात ये हैं कि अब खाली पदों को भरने के बजाय सरकार लटकाती है और बाद में कहती है कि इन पोस्टों की ज़रूरत नहीं है. इतने साल बिना आदमी के काम चल गया यानी ये पद न हों तो भी चल जाएगा.  बाकायदा मोदी सरकार ऐसे हज़ारों नौकरियां खत्म कर चुकी है. 16 जनवरी को ही मोदी सरकार ने एक रिपोर्ट मांगी जिसमें पांच साल से खाली पड़ी जगहों को खत्म करने के लिहाज से जानकारी इकट्ठा करने को कहा गया.  यानी लाखों नौकरियां इसके साथ ही खत्म हो जानी थीं.

 

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