कोई नहीं बता सकता कि चुनाव आयोग ने क्या सिफारिश की है, सारा बवाल हवाई है

नई दिल्ली : इसे कहते हैं सूत न कपास जुलाहों में लट्ठमलट्ठा, पूरे दिन से नेशनल मीडिया गला फाड़ फाड़कर चिल्ला रहा है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से कर दी है. इस खबर को सुनसुन कर सारी पार्टी वाले और खुद आम आदमी पार्टी उछल उछल कर बयान दे रहे हैं. लेकिन कोई बता सकता है कि चुनाव आयोग ने क्या सिफारिश की है ? इनमें से कोई नहीं. न तो मीडिया बता सकता है कि चुनाव आयोग ने क्या सिफारिश की है. न केजरीवाल बता सकते हैं. न केजरीवाल का वकील बता सकता है न केजरीवाल की शिकायत करने वाला वकील बता सकता है.

केजरीवाल पर पानी पी पीकर हमले कर रहे बीजेपी और कांग्रेस के नेता तो बिल्कुल ये नहीं बता सकते. अब आप पूछना चाहेंगे कि क्यों नहीं बता सकते तो इसका जवाब है कि ये फैसला पूरी तरह गुप्त रखा गया है. राष्ट्रपति को जो सिफारिशें भेजी गई हैं वो गुप्त हैं और सीलबंद लिफाफे में हैं.

आप कहेंगे कि ये खबर चुनाव आयोग के सूत्रों ने मीडिया को बता दी होगी. अगर ऐसा है तो ये और भी गंभीर सवाल है. कोई गुप्त सूचना चुनाव आयोग से मीडिया तक कैसे पहुंची. ये तो चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी है कि सूचना को गुप्त रखे. क्या वो अति महत्व की गुप्त सूचना को गुप्त रखने में नाकाम रहा.

दरअसल इस सूचना का अकेला आधार इसका सूचना न होकर काल्पनिक होना है. याचिकाकर्ता वकील प्रशांत देसाई और मीडिया कर्मियों ने आज हुई चुनाव आयोग की बैठक के बाद अंदाज़ा लगाया कि सिफारिशें केजरीवाल सरकार के खिलाफ ही रही होंगी. इतना ही नहीं. रिपोर्टरों ने भी यही अंदाज़ा लगाया. बस फिर क्या था हो गया मीडिया पर दे दनादन का दौर शुरू

इस कौआ कान ले उड़ा के दौर में आम आदमी पार्टी दिल्ली हाई कोर्ट भी पहुंच गई. हाईकोर्ट ने कह दिया कि हम राहत नहीं देंगे. कहा सोमवार को आना. अब सोमवार को हाईकोर्ट कहेगा कि कैसे पता चला तो भगवान जाने ये क्या जवाब देंगे. लेकिन लगे हाथ हाईकोर्ट ने फटकार ज़रूर लगा दी. इस दौरान हाईकोर्ट ने AAP के विधायकों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप वक्त रहते चुनाव आयोग के पास नहीं गए और नोटिस का जवाब तक नहीं दिया. कोर्ट ने सवाल दागा कि आखिर आप चुनाव आयोग के संपर्क में क्यों नहीं रहे? कोर्ट ने कहा कि जब आप बुलाने पर भी नहीं गए, तो अब आयोग मामले पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.

आम आदमी पार्टी सिर्फ कोर्ट ही नहीं ने चुनाव आयोग के फैसले को लेकर आगे की रणनीति बनाने के लिए उच्चस्तरीय बैठक भी बुला ली.

उधर बिल्ली के भाग से छींका टूटने की अंदाज़ में कांग्रेस और बीजेपी ने मुगंरी लाल के चुनावी सपने देखने शरू कर दिए हैं. पार्टियां इस चक्कर में हैं कि विधानसभा भंग हो जाए तो मौज हो जाए. लेकिन लिफाफे में क्या है गारंटी के साथ कोई नहीं कह सकता.

इस लड़ाई में आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के कपड़े फाड़ दिए हैं. पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जिस लाभ के पद का आरोप लगाया जा रहा है, जबकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं है. हमारे विधायकों ने सरकारी गाड़ी, सरकारी बंगला और तनख्वाह का फायदा नहीं लिया. चुनाव आयोग ने इस मामले में हमारी बात नहीं सुनी. किसी भी विधायक को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया है.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति ने गुजरात में पीएम मोदी के अंडर में काम किया है. अब वे पीएम मोदी का कर्ज चुका रहे हैं. 23 जनवरी को उनका जन्मदिन है और सोमवार को रिटायर हो रहे हैं. इसलिए जाने से पहले सभी काम को निपटाना चाहते हैं. सौरभ ने कहा कि सोमवार के बाद ना ही मोदी जी और ना ही ब्रह्मा जी एके ज्योति को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रख सकते हैं.

बहरहाल ड्रामा जारी है. और लिफाफे में क्या है न तो किसी को पता है न किसी की जानने में रुचि है. राष्ट्रपति लिफाफा खोलकर अंतिम निर्णय लेंगे और तबतक इंतज़ार करने में ही भलाई है. पागलपंथी में पड़ने से क्या फायदा.