ईवीएम पर पार्टियों ने चुनाव आयोग को घेरा, चुनाव आयोग ने दोहराई बीजेपी की वाणी

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ पी रावत ने वही बात कहकर सबको चौंका दिया है जो अबतक बीजेपी का ईवीएम के पक्ष में तर्क हुआ करती थी. उन्होंने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी संबंधी तमाम राजनीतिक दलों की चिंताओं पर निर्वाचन आयोग गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेते हुये आम निर्वाचन से पहले इनका निराकरण करेगा. लेकिन साथ में ये भी कहा कि कुछ पार्टियां कहती है कि बूथ कैप्चरिंग का दौर कहीं वापस न आ जाए.

बैठक से बाहर आए  के अतुल कुमार अनजान ने बताया कि उन्होंने बैठक में बीजेपी और तेदेपा सहित सिर्फ तीन दलों ने ईवीएम के बजाय मतपत्र से वोटिंग कराने की मांग का विरोध किया. उन्होंने बताया कि बैठक में चुनावी खर्च की सीमा तय करने और नेपाल की तर्ज पर समानुपातिक प्रतिनिधितत्व पद्धति से भारत में भी निर्वाचन कराने के सुझाव पेश किये गये.

 

रावत ने आयोग द्वारा सभी राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त दलों के प्रतिनिधियों के साथ निर्वाचन प्रक्रिया को दुरुस्त करने के मुद्दे पर आज हुई बैठक के बाद बताया ‘‘ईवीएम में गडबड़ियों की शिकायतों पर आयोग ने व्यापक नजरिया अपनाते हुये संज्ञान लिया है. इस बारे में सभी तरह की शंकाओं का समाधान किया जायेगा.’’

 

कांग्रेस सहित तमाम अन्य दलों द्वारा मतपपत्र से वोटिंग कराने की मांग के सवाल पर रावत ने कहा ‘‘कुछ दलों का कहना था कि मतपत्र पर वापस लौटना अच्छा नहीं होगा, क्योंकि हम नहीं चाहते हैं कि ‘बूथ कैप्चरिंग’ का दौर वापस आये.’’

 

हालांकि कुछ दलों की ओर से ईवीएम और वीवीपेट में कुछ समस्यायें होने की बात कही गयी, इन सभी पहलुओं को आयोग ने संज्ञान में लिया है और इस बारे में हम संतोषजनक समाधान देने के लिये आश्वस्त करते हैं.’’

 

रावत ने स्पष्ट किया कि सभी दलों की ईवीएम, वीवीपेट और अन्य मसलों से जुड़ी सभी चिंताओं पर आयोग समग्र नजरिया अपनाते हुये संतोषजनक हल प्रदान करेगा. आज की बैठक के प्रमुख नतीजों के बारे में उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने निर्वाचन प्रक्रिया को विश्वसनीय और बेहतर बनाने के लिये सकारात्मक सुझाव दिये है. आयोग इन पर विस्तार से विचार कर इन्हें प्रभावी तौर पर लागू करने की दिशा में सभी जरूरी कदम उठायेगा.

 

बैठक में ‘एक देश एक निर्वाचन’ के मुद्दे पर चर्चा होने के सवाल पर रावत ने कहा ‘‘कुछ दलों ने यह मुद्दा उठाया और कुछ दलों ने इसका विरोध किया. आयोग की तरफ से इस मामले में बहुत कुछ कहा जा चुका है. इस मामले में अच्छी बहस चल रही है.’’ उन्होंने बताया कि कुछ दलों ने प्रत्याशियों की तरह राजनीतिक दलों के चुनावी खर्च की भी सीमा तय करने का सुझाव दिया.

 

इस दिशा में कानूनी पहल करने के बारे में आयोग विचार करेगा. बैठक में सभी सात राष्ट्रीय और 51 राज्य स्तरीय मान्यताप्राप्त दलों के 41 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस और आप सहित तमाम विपक्षी दलों ने मतपत्र से निर्वाचन कराने का सुझाव दिया.

 

बैठक के बाद सपा के रामगोपाल यादव ने बताया ‘‘हमारी पार्टी ने भी मतपत्र से निर्वाचन कराने की तरफदारी की है लेकिन मैं यह जानता हूं कि आयोग यह मांग नहीं मानेगा. इसलिये हमने सुझाव दिया कि जिस वोटिंग केन्द्र पर प्रत्याशी या उसके एजेंट को ईवीएम पर शक हो, उसके मतों का मिलान वीवीपेट मशीन की पर्ची से अनिवार्य किया जाना चाहिये.’’

 

वहीं आप के राघव चड्ढा ने कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार वोटिंग शतप्रतिशत वीवीपेट युक्त ईवीएम से सुनिश्चित करने, 20 प्रतिशत मशीनों के मतों का मिलान वीवीपेट की पर्ची से करने और प्रत्येक प्रत्याशी की पसंद से किसी एक ईवीएम के मतों का मिलान वीवीपेट की पर्ची से करने को अनिवार्य बनाने का सुझाव दिया है.

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