अमृतसर में दशहरे के दिन रेल्वे ट्रैक पर दशहरे के रावण का पुतला देख रहे लोगों की मौत के मामले में ड्राइवर का बयान समाने आ गया है. ड्राइवर ने सफाई दी है कि जिस वक्त ट्रेन हादसा हुआ उस वक्त तक लगभग अंधेरा छा चुका था. जैसे ही रावण जलना शुरू हुआ आस-पास धुआं छा गया. तेज आतिशबाजी होने लगी. इस दौरान यहां से होकर ट्रेन गुजरी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रेल ड्राइवर ने कहा कि रावण जलने की वजह से आसपास काफी धुआं था, घटनास्थल पर रोशनी की भी व्यवस्था नहीं थी, इसलिए उसे कुछ दिखाई नहीं दिया. रेल अधिकारी का भी कहना है कि वहां काफी धुआं था, जिसकी वजह से ड्राइवर कुछ भी देखने में असमर्थ था, इसके अलावा ट्रेन भी घुमावदार मोड़ पर थी.
इधर रेलवे का कहना है कि रावण दहन देखने के लिए लोगों का वहां पटरियों पर इकट्ठा होना “साफ तौर पर अतिक्रमण का मामला” था और इस कार्यक्रम के लिये रेलवे द्वारा कोई मंजूरी नहीं दी गई थी. अमृतसर प्रशासन पर इस हादसे की जिम्मेदारी डालते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को दशहरा कार्यक्रम की जानकारी थी और इसमें नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी ने भी शिरकत की थी.
रेलवे अधिकारियों ने कहा, “हमें इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी और हमारी तरफ से कार्यक्रम के लिये कोई मंजूरी नहीं दी गई थी, यह अतिक्रमण का स्पष्ट मामला है और स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदारी लेनी चाहिए. इधर केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा है कि स्थानीय प्रशासन ने कार्यक्रम की सूचना रेलवे विभाग को नहीं दी थी.
उन्होंने कहा कि अगर रेलवे को जानकारी दी जाती तो उनके विभाग की ओर से गाइडलाइंस निश्चित रूप से जारी किये जाते. ट्रेन की तेज रफ्तार के बारे में मनोज सिन्हा ने कहा कि स्पीड पर नियंत्रण ट्रैक की स्थिति के आधार पर लगाया जाता है, ना कि भीड़ को देखते हुए. उन्होंने कहा कि अभी उनकी प्राथमिकता घायलों को ज्यादा से ज्यादा चिकित्सा और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराना है.
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