इस ‘भगवान’ का धर्म इसलाम है और काम बुद्ध जैसे, लेकिन निकम्मी व्यवस्था से हार गया


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नई दिल्ली :  एक तरफ ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने बिना लोगों की जान की परवाह किए सप्लाई लोक दी . उसके लिए पैसा इनसानियत से ऊपर था. दूसरी तरफ अफसरों ने भुगतान के लिए कोशिशें करने के लिए मासूम बच्चों को मर जाने दिया. उनके लिए आराम से नौकरी करना अहम था. यूपी के सीएम गाय माफिया पर नजर रखने के लिए अफसरों से मीटिंग करते रहे और यहां प्राणवायु कम होती रही. उनके लिए राजनीति महत्वपूर्ण थी लेकिन इस डॉक्टर के लिए सबसे ऊपर थी इनसानियत.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील ने अपने निजी पैसे से कुछ ऑक्सीजन के सिलेंडर मंगाकर जान बचाने की कोशिश की. लेकिन उनकी कोशिशों और औकात से ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत इस अस्पताल में भर्ती लोगों को थी इसलिए वो सबको नहीं बचा सके..

गौरतलब है कि गुरुवार की रात करीब दो बजे उन्हें सूचना मिली कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हो गई है. सूचना मिलते ही डॉक्टर समझ गए के हालात कितने भयावह होने वाले हैं. इसके बाद डॉक्टर कफील आनन-फानन में अपने मित्रों के जरिए ऑक्सीजन के तीन सिलेंडर गाड़ी में लेकर शुक्रवार की रात तीन बजे सीधे बीआरडी अस्पताल पहुंचे. ये वो समय था जब लोग गहरी नींद में सोते रहते हैं.इन तीन सिलेंडरों से बालरोग विभाग में करीब 15 मिनट तक ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई.

ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे अस्पताल में रात भर किसी तरह से काम चल पाया, पर सुबह सात बजे ऑक्सीजन खत्म होते ही एक बार फिर हालात गंभीर हो गए. इस डॉक्टर ने शहर के गैस सप्लायर से फोन पर बात की. साथ ही बड़े अधिकारियों को भी फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद डॉ. कफील अहमद एक बार फिर अपने डॉक्टर मित्रों के पास मदद के लिए पहुंचे और करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की.

इस बीच उन्होंने शहर के करीब छह ऑक्सीजन सप्लॉयरों को फोन लगाया. सभी ने कैश पेमेंट की बात कही. इसके बाद कफील अहमद ने बिना देरी किए अपने कर्मचारी को खुद का एटीएम दिया और पैसे निकालकर ऑक्सीजन सिलेंडर तुरंत लाने को कहा. इस तरह उन्होंने बच्चों की जान बचाने की पूरी कोशिश की. इस बीच डॉक्टर ने एम्बु पंप से बच्चों को बचाने की कोशिश भी की. डॉ कफील की कोशिशों की सोशल मीडिया पर खूब प्रशंसा हो रही है.