मोदी के मंत्री के एनजीओ के लिए बड़ा घपला, डीडीए चरणों में, एलजी सज़दे में


Deprecated: Creation of dynamic property Maghoot_Theme::$loop_meta_displayed is deprecated in /var/www/vhosts/knockingnews.com/httpdocs/wp-content/themes/magazine-hoot/template-parts/loop-meta.php on line 108

नई दिल्ली : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अपने अधिकारियों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए डाकघर के लिए आवंटित जमीन के लेआउट प्लान को बदलकर सितंबर 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार में खेल मंत्री विजय गोयल से जुड़े गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) को दे दी. विजय गोयल का एनजीओ एक स्कूल चलाता है और वो उसके बगल का भूखंड पाना चाहता था. एनजीओ लगातार इसकी मांग करता रहा. दस्तावेज के अनुसार एनजीओ ने एक बार तो जरूरी कागजात मांगने के लिए डीडीए को लगभग डांट ही लगा दी थी. जनवरी 2014 में विजय गोयल राज्य सभा सांसद बने. गोयल वैश्य अग्रवाल एजुकेशन सोसाइटी (वीएईएस) के उपाध्यक्ष हैं. उनके बेटे सिद्धांत और बेटी विद्यन सोसाइटी के सदस्य हैं.
गोयल के एनजीओ ने डीडीए से टॉय बैंक (खिलौना बैंक) बनाने के लिए डीडीए से जमीन मांगी. इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेज के गोयल के एनजीओ ने 2014 की शुरुआत में जब जमीन मांगी तो डीडीए ने उससे “निर्धारित फॉर्म” में आवेदन भेजने के लिए कहा. एक साल तक मामला ठंडा पड़ा रहा. अगले साल जून 2015 में वीएईएस एक और पत्र डीडीए को भेजा जिसका संज्ञान डीडीए के एडिशनल डायरेक्टर (इंस्टीट्यूशनल लैंड) ने लिया और मामले को यह लिखकर आगे बढ़ा दिया कि “कृपया तत्काल कार्रवाई करें.” सात अगस्त 2015 को डीडीए ने निर्धारित फॉर्म में आवेदन दर्ज किया.

दस्तावेज के अनुसार नौ अक्टूबर 2015 और 14 अक्टूबर 2015 को वीएईएस की फाइल पर कार्रवाई कर रहे डीडीए अफसरों ने लिखा कि “ऐसी कोई मंजूरी प्राप्त जमीन उपलब्ध नहीं है.” अफसरों ने लिखा, “दिल्ली मास्टर प्लान 20121 के अनुसार “टॉय बंक कम प्लेइंग सेंटर एंड सोशल एक्टिविटीज फॉर अंडरप्रिविलेज्ड चिल्ड्रेन” जैसा कोई यूजर प्रिमाइज नहीं है.” 16 अक्टूबर 2015 को डीडीए के तत्कालीन प्रिंसिपल कमिश्नर (लैंड डिस्ट्रीब्यूशन) जेपी अग्रवाल ने प्रस्ताव को विचार के लिए स्वीकृति दी. दस्तावेज के अनुसार अग्रवाल ने “सोसाइटी के मकसद और उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए” मंजूरी दी थी.

विजय गोयल के एनजीओ को मिली यही ज़मीन (सौजन्य इंडियन एक्सप्रेस)

टॉय बैंक भूमि आवंटन के लिए निर्धारित किसी भी श्रेणी में नहीं शामिल था इसलिए डीडीए ने जमीन देने के लिए इसे “अनाथ/बाल केंद्र” श्रेणी में डालकर इस समस्या का तोड़ निकाला. लेआउट प्लान (एलओपी) में जमीन न उपलब्ध होने पर डीडीए ने लिखा, “जोनल प्लान/एलओपी में बदलाव करके उपलब्ध जमीन में से प्लॉट निकाला जा सकता है बशर्ते प्लानिंग विभाग की स्वीकृति/उपलब्धता मिल जाए…मौके की जमीन एलओपी के साथ चिह्नित और इंगित की जा सकती है.” जिस बैठक में डीडीए ने गोयल के एनजीओ को जमीन देने का फैसला किया उसी बैठक में इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटैक) अकादमी को यह कहकर जमीन देने से मना कर दिया कि ये श्रेणी “सामाजिक सांस्कृति श्रेणी के तहत नहीं आती.”

डीडीए के दस्तावेज के अनुसार 23 दिसंबर 2015 को वीएईएस द्वारा सुझाई गए 488 वर्गमीटर के प्लॉट का डीडीए के अफसरों ने मुआयना किया. ये जमीन जीटी रोड दिल्ली के डेरावाल नगर में स्थित इस प्लॉट पर पार्क था, इसके एक तरफ वीएईएस द्वारा चलाया जाने वाला आधारशिला नर्सरी स्कूल था, जो लेआउट प्लान में एक डाकघर के लिए निर्धारित था. दस्तावेज के अनुसार संबंधित अधिकारियों को इस बात की पुष्टि करने के लिए कहा गया कि “क्या इसके बारे में डाक विभाग से कोई पत्राचार हुआ है.” बाद की फाइल नोटिंग से पता चलता है कि इस भूखंड को फरवरी 2003 में मंदिर बनाने के लिए भी आवंटित किया गया था.

15 जनवरी 2016 को डीडीए के अधिकारियों ने सुझाव दिया कि अगर वीएईएस द्वारा मांगी गई जमीन को उसे आवंटित करना है तो लेआउट प्लान में तब्दीली करनी होगी. अधिकारियों ने मामले को आगे बढ़ाने के लिए सैद्धांतिक संस्तुति भी मांगी जो अग्रवाल ने 22 जनवरी 2016 को दे दी. डीडीए के इंस्टीट्यूशनल एलॉटमेंट कमेटी (आईएसी) ने टॉय बैंक को आधिकारिक/वैध स्पांसरशिप की उपलब्धता के आधार पर मंजूरी दे दी, जबकि सात अन्य आवदेन को इसी आधार पर मुल्तवी कर दिया गया और एक को स्पांसरशिप न देने के आधार पर रद्द कर दिया गया. डीडीए के अधिकारियों ने वीएईएस से वैध स्पांसरशिप लेटर मांगने के बजाय मामले को केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को “आवदेन पर विचार” करने और “भूमि आवंटन के लिए स्पांसरशिप/संस्तुति” के लिए भेजा. डीडीए ने ये भी लिखा कि मामले को “अर्जेंट समझा जाए.” लेकिन वीएईएस को यह बात पसंद नहीं आई.

विजय गोयल के एनजीओ द्वारा डीडीए को भेजा गया फटकार भरा पत्र (एक्सप्रेस फोटो)

वीएईएस ने डीडीए को पत्र लिखा कि “आप (डीडीए) क्यों एक ही चीज के लिए बार-बार कह रहे हैं” और “हमें लगता है कि ये (दस्तावेज) पहले ही दिए जा चुके हैं जो आपकी जरूरत को पूरा करते हैं.” डीडीए की आईएसी ने आठ जुलाई 2016 को प्लॉट आवंटन को इस शर्त के साथ मंजूरी दे दी कि इसके लेआउट प्लान को डीडीए के प्लानिंग विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी से मंजूरी हासिल हो जाए. 18 जुलाई को अग्रवाल ने दिल्ली के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) से इसकी इजाजत ली क्योंकि एलजी ही डीडीए के चेयरमैन होते हैं. . “सक्षम अधिकारी” ने 26 जुलाई को मंजूरी दे दी. स्क्रीनिंग कमेटी ने आठ अगस्त को लेआउट प्लान में बदलाव को मंजूरी दे दी. एक सितंबर 2016 को वीएईएस के उसकी मनचाही जमीन मिल गई और उसने 19 अक्टूबर 2016 को 1.77 करोड़ रुपये का भुगतान किया. पिछले दो सालों में सामाजिक-सांस्कृतिक श्रेणी में डीडीए द्वारा आवंटित ये एकमात्र जमीन है.

जब इंडियन एक्सप्रेस ने अग्रवाल से पूछा कि क्या डीडीए ने पहले भी इस तरह लेआउट प्लान बदलकर भूमि आवंटन किया था? इस पर अग्रवाल ने कहा कि वो लैंड डिस्पोजल विभाग का चार्ज जुलाई 2017 में दूसरे को दे चुके हैं इसलिए कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। अग्रवाल की जगह लेने वाले राजीव वर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को फोन और ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। डीडीए के कमिश्नर (प्लानिंग) ने कहा, “डाकघर अब बेकार होते जा रहे हैं और बस बचतखाता केंद्र के रूप में काम आ रहे हैं। शायद इस वजह से एओपी (लेआउट प्लान) बदली गई होगी।” उस वक्त दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे नजीब जंग ने कहा कि उन्हें इस जमीन के आवंटन के बारे में कुछ “याद” नहीं है।
जब विजय गोयल से ईमेल से पूछा गया कि वीएईएस ने सरकारी इस्तेमाल के लिए निर्धारित जमीन क्यों मांगी और क्या उन्हें पता है कि इसके लिए लेआउट प्लान बदला गया तो गोयल ने उत्तर भेजा कि इसका जवाब वीएईएस देगा। वीएईएस के जनरल सेक्रेटरी संदीप गर्ग ने जवाब दिया, “इसका जवाब आवंटन करने वाली संस्ता यानी डीडीए ही दे सकती है।” गर्ग ने ईमेल से भेजे जवाब में कहा, “अगर जमीन 20 साल से डाकघर के लिए निर्धारित थी तो ये साफ है कि डाकघर अभी तक नहीं बना था और डीडीए का उसे बनाने का कोई इरादा भी नहीं था। इस मामले में डीडीए ने भूमि आवंटन के सभी प्रक्रियाओं का पालन किया है। जमीन टॉय बैंक कम प्ले सेंटर के लिए आवंटित की गई है जो अनाथ, गरीब और विकलांग बच्चों के लिए है। डीडीए ने ये जमीन देकर एक तरह से एक नेक काम में योगदान दिया है।”
गर्ग ने कहा कि मंत्री विजय गोयल को मामले में “बेवजह घसीटा जा रहा है” क्योंकि वो न तो वीएईएस के सदस्य हैं और कई सालों से उपाध्यक्ष भी नहीं हैं। हालांकि डीडीए के अगस्त 2015 के दस्तावेज गर्ग के दावे को खारिज करते हैं। वीएईएस के अनुसार टॉय बैंक पुराने खिलौनों को इकट्ठा करके रिसाइकिल ठीक करके जरूरतमंद बच्चों को देता है। सोसाइटी का दावा है कि उसने पिछले 15 साल में पांच लाख खिलौने रिसाइकिल किए हैं। (courtsey -jansatta)