2019 चुनाव से पहले “गिरफ्तार” हो सकता है दाऊद इब्राहिम, सरकार से सेटिंग की कोशिश

नई दिल्ली : दाऊद इब्राहिम की सरकार से लागातर बातचीत चल रही है और हो सकता है कि 2019 से लोकसभा चुनाव से पहले उसकी नाटकीय गिरफ्तारी हो जाए. सूत्रों के मुताबिक दाउद इब्राहिम की भारत आने पर सुरक्षा को लेकर कुछ चिंताएं हैं. दाऊद के करीबी कहे जाने वाले सूत्रों का कहना है कि डॉन को कुछ नहीं चाहिए. उसे अपनी मातृभूमि पर सांस लेना है. हालांकि ये ऊपरी बात है. जानकार कहते हैं कि नवाज़ शरीफ के सत्ता से हटने के बाद दाऊद असुरक्षित महसूस करने लगा है. भारत के कुछ बड़े नेताओं के नवाज शरीफ से निकट संबंध जग जाहिर है.

सरकार चाहती है कि दाऊद समर्पण न करे बल्कि उसे गिरफ्तार किया जाए. माना ये भी जा रहा है कि दाऊद समर्पण करेगा और उसे गिरफ्तारी का नाम दे दिया जाएगा. 2019 के लोकसभा में दाऊद की गिरफ्तारी बीजेपी के लिए फायदे का सौदा हो सकती है. खबर है कि दाऊद के साथ मथ्यस्थता में पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ को कुछ नज़दीकी और भारतीय जनता पार्टी के कुछ ‘शुभचिंतक’ भी हैं.

आपको याद होगा कि करीब छह महीने पहले नॉकिंग न्यूज़ ने इस बारे में खबर छापी थी. उस समय एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी कहा था कि दाऊद भारत आना चाहता है. ठाकरे ने दावा किया था कि दाऊद न सिर्फ भारत आने को बेताब है बल्कि समझौते के लिए उसकी मोदी सरकार से बात भी चल रही है. ठाकरे ने यह भी कहा था कि दाऊद बेहद बीमार है और अपनी आखिरी सांस भारत में लेना चाहता है.

मंगलवाल को फिर फिर दाऊद के वकील श्याम केसवानी ने ये बात दोहराई. उसने कहा कि दाऊद की मांग है कि उसे सिर्फ मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जाए क्योंकि वह सबसे सुरक्षित है. केसवानी दाऊद के भाई इकबाल इब्राहिम कासकर के वकील हैं. केसवानी ने बताया, दाऊद ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी के माध्यम से कुछ साल पहले भी वापस आने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन भारत सरकार ने वापसी की शर्तों को स्वीकार नहीं किया. ऑर्थर रोड जेल को काफी सुरक्षित माना जाता है. अजमल कसाब को वहीं रखा गया था.