सरकार का बयान- बिना फायरिंग के मरे किसान, नहीं चली गोली, रतलाम में कर्फ्यू, इंटरनेट बंद


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इंदौर: मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन की आग और भड़क गई है. सीआरपीएफ की फायरिंग में 5 किसानों की मौत केबाद भड़के आंदोलनकारियों ने 8 ट्रक और 2 बाइक को आग के हवाले कर दिया. इसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया. दूसरी तरफ एमपी के होम मिनिस्टर भूपेंद्र सिंह गोली बारी की बात को झुठला रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस या सीआरपीएफ की तरफ से कोई फायरिंग नहीं हुई . मंत्री ये नहीं बता पाए कि फिर किसान कैसे मरे.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना के पीछे कांग्रेस का हाथ बताया. शिवराज ने कहा कि कांग्रेस के नेता पूरे आंदोलन को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. असामाजिक तत्व किसान आंदोलन में शामिल हुए, जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने सभी मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की मदद देने की घोषणा की.

वहीं कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश के इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ. हमारे अन्नदाताओं पर गोली चलाना दुखदायी और दिल को दहलाने वाला है. प्रदेश के लिए ये एक काला दिन है. राहुल गांधी ने सवाल किया है कि कि क्या बीजेपी के न्यू इंडिया में अन्नदाताओं को हक मांगने पर गोली मिलती है.

मंगलवार को मंदसौर-नीमच रोड पर करीब एक हजार किसानों ने चक्काजाम कर दिया. इसके बाद 8 ट्रकों और 2 बाइकों में आग लगा दी. पुलिस और सीआरपीएफ ने हालात संभालने की कोशिश की. लेकिन, भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया. इसके बाद फायरिंग की गई. इसमें दो लोगों की मौत हो गई जबकि दो घायल हुए.

मारे गए लोगों के नाम कन्हैयालाल पाटीदार निवासी चिलोद पिपलिया, बंटी पाटीदार निवासी टकरावद, चैनाराम पाटीदार निवासी नयाखेडा, अभिषेक पाटीदार बरखेडापंथ और सत्यनारायण पाटीदार बरखेडापंथ हैं.

मंदसौर में सोमवार से ही इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है. फायरिंग के बाद जिला कलेक्टर ने पहले धारा 144 लगाई और इसके बाद कर्फ्यू लगा दिया. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एक पुलिस चौकी और बैंक में भी आग लगाई गई.

किसानों की सरकार से क्या मांगें

किसान सेना के संयोजक केदार पटेल और जगदीश रावलिया के मुताबिक- किसानों ने मप्र सरकार को 32 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा था. इन पर सोमवार को सीएम से चर्चा हुई थी. उन्होंने इसमें से कुछ मांगे स्वीकार कर ली थीं. पटेल के अनुसार की मुख्य मांगे ये हैं

मप्र सरकार ने एक कानून बनाकर किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने पर मुआवजे की धारा 34 को हटा दिया था और भूअर्जन केस में किसानों ने कोर्ट जाने का अधिकार वापस ले लिया था. किसान विरोधी इस कानून को हटाना किसानों की पहली मांग है.

स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करना. इसने ये सिफारिश की है कि किसी फसल पर जितना खर्च आता है. सरकार उसका डेढ़ गुना दाम दिलाना तय करे.

एक जून से शुरू हुए आंदोलन में जिन किसानों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए. मप्र के किसानों की कर्जमाफी.

सरकारी डेयरी द्वारा दूध खरीदी के दाम बढ़ाए जाएं.