हेराल्ड हाउस पर कांग्रेस का पक्ष, बोली- इसमें गलत क्या किया


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हेराल्ड हाऊस को खाली करने को लेकर बड़े बड़े इलजाम लगाए जा रहे हैं. संघ परिवार इसको लेकर आक्रामक है और बीजेपी और उसका सोशल मीडिया हेराल्ड केस को लेकर आक्रामक है. लेकिन अफसोस ये कि किसी को कांग्रेस पार्टी का पक्ष नहीं बताया जा रहा.

आपको हम बाताते हं कि हेराल्ड चलाने वाली संस्था एजेएएल का पक्ष क्या है. ये पक्ष दिल्ली हाईकोर्ट में सामने रखा गया है. हेराल्ड हाउस को खाली करने के सिंगल बेंच के फैसले को AJAL ने दिल्ली हाइकोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी है.

हाईकोर्ट ने आज इस मामले में वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को कहा कि क्या ये कोई आधार दिया जा सकता है कि आपने ऑफिस चौथे तल पर शिफ्ट कर दिया है. और कंपनी तीन तल से किराया ले रही हैं.

ये कोई इमारत खाली कराने का वैध आधार नहीं है. सिंघवी ने कहा कि ये अखबारों को प्रोत्साहित करने का तरीका है. वहां पर सब ऐसा ही कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि टाइम्स ऑफ इंडिया, पायनियर, इंडियन एक्सप्रेस समेत सभी संस्थाएं ऐसे ही अखबार चला रही है. यहां तक कि लिंक बगैरह भी ऐसे ही चल रहे हैं.

21 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि हेराल्ड हाउस को खाली किया जाए. आज हुई सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट में अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में AJAL का बचाव करते हुए कहा कि हेराल्ड हाउस की लीज LNDO की तरफ़ से सिर्फ इसलिए रद्द कर दी कि वहाँ से न्यूज़पेपर को प्रिंट नहीं किया जा रहा है,न्यूज़पेपर अगर किसी और जगह से प्रिंट हो रहा है तो किसी को क्या आपत्ति हो सकती है,और वहाँ बाकी के अख़बार भी नोएडा से ही प्रकाशित किये जा रहे है,लेकिन उनका आफिस बहादुर शाह जफर रोड पर ही है. और अगर हेराल्ड हाउस में गैरकानूनी काम हुआ तो वहाँ की हर इमारत में ये काम हो रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया भी साहिबाबाद और नोएडा में छपाई करवाता है.

शेयर शोल्डर कंपनी ने कंपनी के ऑफिस बेयरर को ही वो शेयर ट्रांसफर किए, लेकिन इससे लीज की शर्तों का कही भी उल्लंघन नही हुआ. सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट सिंगल बेंच ने आदेश में कहा है कि AJAL सरकुलेशन की जानकारी नहीं बता पाया. लेकिन सच्चाई ये है कि सुनवाई के दौरान कभी भी सरकुलेशन के बारे में पूछा ही नहीं गया था. हमारे पास सरकुलेशन को लेकर ABC का सर्टिफिकेट भी है.

सिंघवी ने कहा कि आर्थिक तंगी के चलते कुछ वक्त के लिए प्रेस को बंद करना पड़ा था लेकिन अब हिंदी इंग्लिश और उर्दू में तीन अख़बार AJAL निकाल रहा है. इसके आलावा 14 नवंबर 2016 को नेशनल हेराल्ड ने अपना डिजिटल मीडियम भी शुरू कर दिया. लिहाज़ा हेराल्ड हाउस को खाली करने का फैसला पूरी तरह गलत है. LNDO ने जो लीज रद्द की वो सत्ता पक्ष कांग्रेस पर दवाब डालने के लिए कर रहा है. ये पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है.

दूसरी तरफ तुषार मेहता ने कहा कि दो हज़ार करोड़ की इस प्रोपर्टी पर 2008 में नेशनल हेराल्ड अख़बार को छापना बंद कर दिया गया. और सभी स्टाफ को वॉलेंटेरी रिटायरमेंट दे दिया गया. पब्लिक प्रीमैसिस एक्ट (public premises act) के तहत हमें उसे खाली कराने का पूरा हक है क्योंकि वहाँ अख़बार निकाला ही नही जा रहा था जबकि जमीन सरकार ने अख़बार चलाने के लिए ही दी गयी थी. अख़बार चलाने के बजाय इमारत को किराए पर दे दिया गया,इतना ही नही भूतल और प्रथम तल पर अवैध निर्माण भी कराया गया.

तुषार मेहता ने कहा कि 2016 में दो बार निरीक्षण किया गया और पाया गया कि वहां कोई प्रिंटिग प्रेस एक्टिविटी नहीं हो रही थी. दो तल पासपोर्ट आफिस को किराए पर दिया गया था. ये साफ हो गया कि 2008 से 2016 के बीच कोई प्रिंटिंग प्रेस एक्टीविटी नहीं हो रही थी. 2010-11 में AJAL के शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर हो गए. इस मामले में अब आगे सुनवाई 1 फरवरी को होगी.

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