संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) पुलवामा हमले की निंदा करते हुए जो संकल्प या कहें कि प्रस्ताव पारित किया है उसमें चीन ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने से इनकार कर दिया है. चीन ने इस मामले पर भारत का समर्थन किया है. इस रिजोल्यूशन में जैश-ए-मोहम्मद का भी जिक्र था.
भारत ने आज तक जब भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का मुद्दा उठाया है तब-तब चीन ने इसका विरोध किया. बता दें कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में से एक है इसलिए इसके पास वीटो का पावर है. इस मामले का अगर आप प्रधान मंत्री या कहें प्राइम टाइम मिनिस्टर या कहें परिधान मंत्री या चौकीदार लेकिन उनकी चीन के साथ झूला झूलो नीति के सफल होने के संकेत मिलते हैं.
नफरत की राजनीति के साथ राजनीति में आए मोदी ने प्रेम का जो काम किया उससे उनकी मति तो फिरेगी ही देश को भी भाईचारे की अहमियत पता लगेगी.
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पुलवामा में किए किए गए हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे जघन्य और कायराना कहा है. साथ ही इस हमले के साजिशकर्ताओं, आयोजकों और प्रायोजकों के खिलाफ कार्रवाई की अपील है.
खास बात है कि सुरक्षा परिषद ने जो रिजोल्यूशन पारित किया उसमें आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का भी जिक्र किया गया था. UNSC ने कहा कि हमलों के लिए दोषी लोगों को न्याय के कठघरे में लाने की जरूरत है. बड़ी बात ये है कि जैश ए मोहम्मद के मुखिया हाफिज सईद को फिर भी आतंकवादी घोषित नहीं किया गया. पिछली बार चीन ने हाफिज को आतंकवादी घोषित करने की मांग की थी.
गौरतलब है कि
पुलवामा हमले के बाद आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है.
दुनिया के लगभग सभी शक्तिशाली देशों ने पुलवामा हमले को लेकर पाकिस्तान की आलोचना
की है. गुरुवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति
की बैठक ली. इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. पाकिस्तानी वेबसाइट ‘डॉन’ के अनुसार पाकिस्तान ने आतंकी संगठन जमात-उत-दावा पर बैन लगाया है.
इसके साथ ही फलाह-ए-इंसानियत पर भी बैन लगाया गया है.
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