गौरक्षक : ब्राह्मण ने गौहत्या की हो गया गंगा स्नान से ही पवित्र, म्लेच्छ को मिलती है मौत !

भोपाल :  एक अपराध की कई सज़ाएं. जब गाय मुसलमान के हाथ से मारी जाए तो सज़ा ए मौत. दलित के हाथ से मारी जाए तो मारपीट और जेल लेकिन अगर ऊंची जाति वाले के हाथ से मारी जाए तो गंगा स्नान और गाव वालों को अच्छा खाना खिलाने से काम चल जाता है. और तो और अपराधी कानूनी कार्रवाई से भी बच जाता है.

मोहन तिवारी ने शंकर अहीरवार की गाय को गुस्से में आकर सिर्फ इसलिए मार दिया क्योंकि वह उसके खेत में कई बार दाखिल होकर उसे खराब कर चुकी थी. तिवारी ने कथित तौर पर गाय पर किसी धारदार हथियार से हमला किया था. घटना की खबर मिलने पर तुरंत ही ब्राह्मण समाज ने पंचायत की और तिवारी के लिए गंगा नहाने, भोज खिलाने की सजा का फरमान जारी किया गया. इसके बाद गाय का मालिक इतने दबाव में था कि वो रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करा सका.  इंस्पेक्टर कैलाश बाबू आर्य ने बताया कि शंकर अहीरवार फैसला हो जाने के बाद शंकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का इच्छुक नहीं था.

आर्य ने आगे बताया कि गाय का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद यह पता चला कि उसकी मौत घायल होने से हुई थी. इसके बाद ही तिवारी के खिलाफ मध्य प्रदेश गौ-वध प्रतिबंध कानून (Madhya Pradesh Prohibition of Cow Slaughter Act) के तहत मामला दर्ज किया गया.

 

आर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना शुक्रवार (21 जुलाई) की है. वहीं बताया जा रहा है कि गाय की मौत शनिवार सुबह (22 जुलाई) को हुई थी. वहीं आर्य ने यह भी बताया कि न ही शिकायतकर्ता और न ही गांववाले साफ-साफ बता रहें हैं की शंकर को हुए नुकसान के लिए तिवारी ने उसे कितने पैसे देने का करार किया है. हालात यहां तक थे कि गांव के जबरदस्त दवाब में गाय का मालिक थाने में शिकायत दर्ज करने तक का साहस नहीं जुटा पा रहा था.