बिल्डरों के ऑडिट में सामने आए नेताओं के नाम, शुरू हुआ गुप्त रखने का खेल !

नई दिल्ली: नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों के खातों का बेहद गहराई से ऑडिट करवाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक अब तक की ऑडिट में करीब 48 बिल्डरों के खातों में करीब 5000 करोड़ रुपये के ऐसे फंड मिले हैं जिन्हें बिल्डरों ने दूसरे खातों में ट्रांसफर किया और उसके बाद वो पैसा गायब हो गया.

हालत ये हैं कि ऑडिट रिपोर्ट का शुरुआती नतीजा सामने आते ही उसे गुप्त रखने का सिलसिला शुरू हो गया है. करी एंड ब्राउन नाम की ऑडिट फर्म ने जो रिपोर्ट दी थी उससे कुछ नाम तो जल्द ही बाहर आ गए. इसके बाद शांति है. माना जा रहा है कि ऑडिट रिपोर्ट में कई ऐसे नेताओं और बड़े लोगों के पास फंड डायवर्ड होने की जानकारी मिली है. इनमें कई पूर्व मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं.

अथॉरिटी सूत्रों के मुताबिक बड़े नाम आने के कारण नोएडा अथॉरिटी को हिदायत मिली है कि वो मामला गुप्त रखे. आगे क्या करना है लखनऊ से तय होगा.

उधर ऑडिट में बिल्डरों के साथ ऑडिट कंपनी का भी विवाद बढ़ गया है. ऑडिट कंपनी करी एंड ब्राउन ने बिल्डरों से खरीदारों का डेटा भी मांगा है ताकि पता चल सके कि कितना फंड कहां गया. कही फंड डायवर्ट करने की जगह नेताओं को फ्लैट तो नहीं दिए गए.

बिल्डर ये जानकारी देने से इनकार कर रहे हैं. बिल्डरों का कहना है कि हमारे ग्राहकों की जानकारी लेने का अधिकार ऑडिट फर्म को नहीं है.

सूत्रों के मुताबिक यमुना अथॉरिटी ने जिन बिल्डरों के फंड में गड़बडी मिली उनके नाम भी मीडिया में सार्वजनिक कर दिए थे. अब खबर है कि उसे चुप रहने को कहा गया है. नोएडा अथॉरिटी को भी बिल्डरों के खाते में पाई गई गड़बड़ी को सार्वजनिक नहीं करने दिया गया है.

जब ये ऑडिट करवाया जा रहा था तो बार बार एक सवाल सामने आ रहा था और वो ये कि बिल्डरों ने अगर पैसा डायवर्ट किया है, दूसरे प्रोजेक्ट में लगाया है या कहीं और खर्च किया है इससे बायर को क्या फर्क पड़ना है उसे जितने पैसे देने थे उतने ही देने पड़े बस एक अदद फ्लैट मिल जाए.

लेकिन फ्लैट दिलाने में ऑडिट की भूमिका हो सकती किसी की भी समझ से परे हैं. माना जा रहा है कि अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए चंदे के इंतज़ाम से ज्यादा इसका कोई मकसद नहीं है.

उधर बायर्स की तरफ से हालात को बेहतर बनाने में लगे राषेश पुरोहित कहते हैं कि सरकार की नीयत पर लोग शक न करें इसके लिए सरकार को खुद ही कदम उठाने होंगे.

बहरहाल इतना तय है कि बायर्स को फ्लैट दिलाने के नाम पर पर्दे के पीछे बहुत कुछ चल रहा है. ये बहुत कुछ राजनीतिक भी है और करप्ट भी.