BHU के वीसी का एक और कारनामा, खुद को बचाने के लिए प्रॉक्टर से इस्तीफा लिया

नई दिल्ली : काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वीसी को लेकर विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पहले वीसी ने छात्राओं की सुरक्षा में गंभीर लापरवाही की . आंदोलन हुआ तो यूनिवर्सिटी में पुलिस को घुसाया अब वीसी अपनी नौकरी बचाने के लिए प्रॉक्टर की नौकरी खा गए हैं. सूत्रों के मुताबिक वीसी ने अब शनिवार की रात हुए लाठीचार्ज के मामले में प्रॉक्‍टर ओएन सिंह का इस्तीफा ले लिया है. कहा गया है कि उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया. इसके बाद वीसी जीसी त्रिपाठी ने इस्‍तीफे को मंजूर भी कर लिया है. मंगलवार को ही कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.

इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है. शासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता.

अफसोस की बात ये है कि  कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी अब भी अपनी बातों पर अड़े हुए हैं. उन्होंने अपने बचाव में बे सिरपैर की दलीलें दी है. कुलपति ने कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे. उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे. छेड़छाड़ करना मुमकिन ही नही था.

कुलपति ने कहा, “23 सितंबर की रात लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा ही रहा था, उस समय अराजक तत्वों ने मुझे रोककर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी.” कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की. छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं. उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाए रखा था. पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैम्पस से बाहर करने के लिए ही बल प्रयोग किया.