“बद्रीनाथ का पुराना नाम बदरुद्दीन शाह था, मुसलमान जाते थे वहां”

नई दिल्ली : विश्व हिंदू परिषद की शैली के अंदाज़ में एक मौलाना ने भी अजीब हरकत की तो उसे दोनों तरफ से गालियां पड़ीं. हिंदूओं को तो गुस्सा होना ही था मुसलमान विद्वानों ने भी उसके खूब कपड़े फाड़े. इस मौलाना ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी जिसके कारण वो फंस गया.

दरअसल इस मौलाना ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा कि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम सदियों पहले मुसलमानों का तीर्थस्थल था. उसे वापस मुसलमानों को सौंपा जाए. ये मौलाना साहब मदरसा दारुल उलूम निश्वाह के मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी हैं. उन्होंने दावा किया किया कि सैकड़ों साल पहले बद्रीनाथ धाम बदरुद्दीन शाह या बद्री शाह के नाम से जाना जाता था.

मौलाना ने कहा कि ये तीर्थस्थल हिन्दुओं का नहीं हो सकता, मौलाना के मुताबिक बद्री नाम में बाद में नाथ लगाया गया, लेकिन इससे वो हिन्दू नहीं हो जाते. मदरसा दारुल उलूम निश्वाह सहारनपुर में काम करने वाली संस्था है. मुफ्ती अब्दुल लतीफ इस संस्था के वीसी हैं.

अब्दुल लतीफ के इस बयान की हिन्दुओं और मुसलमान दोनों ने ही आलोचना की है, और कहा है कि वे बकवास बयान है. लेकिन मौलाना कह रहे हैं कि सिर्फ आस्था के नाम पर राम मंदिर हिंदुओं का हो सकता है तो बद्रीशाह क्यों नहीं.

बद्रीनाथ में भी इस बयान की आलोचना हुई है. बद्रीनाथ के पुजारियों और वहां के स्थानीय लोगों ने इस मौलाना को पागल करार दिया है. बद्रीनाथ के एक मौलाना ने कहा कि मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी को पता होना चाहिए कि बद्रीनाथ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने तब की थी जब इस्लाम वजूद में भी नहीं था. योग गुरु बाबा रामदेव ने भी मौलाना अब्दुल के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. बाबा रामदेव ने कहा कि ऐसे शख्स इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं. बाबा रामदेव ने ट्वीट किया, ‘ऐसे मौलाना बद्रीनाथ धाम के बारे में झूठ फैलाकर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, बद्रीनाथ धाम की स्थापना इस्लाम के आने से सैकड़ों साल पहले हुई थी.’