यूपी में एंटी रोमियो अभियान वापस, मीट की दुकानों पर एक्शन भी बंद ?


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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सड़कों पर पांच दिन से चल रही पुलिसिया गुंडा गर्दी आम नागरिकों से अपमानजनक व्यवहार, मांस व्यापारियों के अंधाधुंध उत्पीड़न और हाहाकार मचाने के बाद आखिर यूपी की पुलिस को सद्बुद्धि आई है. अब ये एंटी रोमियो अभियान करीब-करीब वापस ले लिया गया है. इसके साथ ही मीट की दुकानों पर भी एक्शन अब बंद हो जाएगा. ये अलग बात है कि इसके वापसी की सीधे कोई घोषणा नहीं की गई है लेकिन नई गाइडलाइन्स का मतलब साफ है कि अभियान अब नहीं चलेगा. पुलिस ने एंटी रोमियो स्क्वॉयड और बूचड़खानों मामल में में नई गाइडलाइन जारी की है. पहले पढ़ लीजिए गाइडलाइन्स-

1-  अवैध रूप से दुधारू पशुओं तथा गोवंशीय जानवरों को वध के लिए तस्करी, पशु वधशालाओं (बूचड़खानों) की रोकथाम, बूचड़खाने संचालित करने व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस अधिकारियों द्वारा कठोर कार्रवाई की जाए. समाज के कतिपय स्वयंभू, कथित दलों द्वारा कार्रवाई करने का अगर कोई मामला सामने आता है तो संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए.

(ऐसा नियम योगी सरकार से पहले भी था और बूचड़खानों पर तब भी एक्शन होता था. गोवंश पर तब भी कार्रवाई होती थी)

2-  किसी भी दशा में किसी निर्दोष व्यक्ति का उत्पीड़न न हो. एंटी रोमियो स्क्वॉयड किसी भी जिले में अभियान चलाए जाने से पूर्व सार्वजनिक स्थलों (स्कूल, कॉलेज, बाजार, मॉल, पार्क, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन आदि) पर आपत्तिजनक हरकत करते पाए जाने वाले व्यक्तियों के संबंध में सादे कपड़ों में महिला पुलिसकर्मियों द्वारा निगरानी करवाने के बाद ही आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

(ऐसे अभियान लगातार पहले भी चलते रहे है. समय समय पर पुलिस ऐसे अभियान आम चलाती है)

3 – नई गाइडलाइन के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर बैठे हुए जोड़ों से आईकार्ड मांगना, उनसे पूछताछ करना, तलाशी लेना, उठक-बैठक करवाना, मुर्गा बनवाना और मारपीट जैसी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. एंटी रोमियो स्क्वॉयड के हर दिन अभियान पर निकलने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसकी ब्रीफिंग की जाएगी. साथ ही जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी समय-समय पर इसकी समीक्षा करेंगे.

(ठीक यही नियम पहले भी था.आपको याद होगा मेरठ के पार्क में पुलिस के ऐसे अभियान के बाद एक महिला सब इंस्पेक्टर पर इस बारे में एक्शन भी हुआ था.)

4: अभियान में संलग्न टीमों द्वारा उपरोक्त कार्यवाही में किसी भी प्राइवेट व्यक्तियों को शामिल नहीं किया जाएगा. इसका मतलब है कि पुलिस के अलावा किसी भी व्यक्ति विशेष को कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं होगा. वहीं इस गाइडलाइन में सबसे अहम बात यह है कि आपत्तिजनक गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों को कड़ी हिदायत देते हुए प्राथमिक रूप से उनके खिलाफ सुधारात्मक कार्यवाही की जाए.

(जाहिर बात है सोशल पुलिसिंग में गुंडे और कारसेवकों की अहम भूमिका होती है. हाल में कई मीट दुकानों को जला दिया गया था. इस आदेश का एक मतलब और भी है कि हाल की कार्रवाई में पुलिस के साथ हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया. पुलिस भी ये स्वीकार कर रही है)

पुलिस के इस नये आदेश में ये तो साफ है कि पुलिस अपनी गलती मान रही है. पिछले पांच दिनों में की गई कार्रवाई को वापस ले लिया गया है. अच्छी बात ये है कि सरकार ने अभियान वापस ले लिया गया लेकिन उन आम नागरिकों का क्या होगा जिन्हें पुलिस ने मनमाने रवैये के चलते सरे आम मारा,पीटा और बेइज्जत किया. क्या पुलिस इसके लिए सार्वजनिक माफी मांगेगी. क्या वो मुकदमे वापस होंगे जो पुलिस ने नौजवान और बेकसूर मीट व्यापारियों पर लाद दिए हैं.