आंखें खोल देगा ये लेख, वीवीपैट भी हुआ फेल, अब तो केवल पेपर बैलेट ही रास्ता

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी नगर निगम चुनाव में बुरी तरह हारी है. इस हार के बाद ये माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि ईवीएम मुद्दा फायदे का नहीं रहा इसलिए राजनीतिक पार्टियां इससे नुकसान के अलावा कुछ हासिल नहीं करेंगी. हार के बाद जो प्रतिक्रिया आम आदमी पार्टी की आई है वो भी ईवीएम की तरफ इशारा नहीं करती. इसका निचोड़ ये निकलता है कि ईवीएम मसला पूरी तरह ज़मीन के नीचे दफन होने वाला है. कुछ लोग अपने राजनीतिक प्रेम के कारण इसपर फब्तियां कस रहे हैं मज़ाक उड़ा रहे हैं. लेकिन इन फब्तियों और मज़ाक के बीच कुछ तथ्य हवा नहीं होने देना चाहिए.
हम सवाल जवाबों में इन सभी मुद्दों तो पिरोने की कोशिश कर रहे हैं.

1. ईवीएम में हेरा फेरी क्या संभव है ?
जवाब- जी हां संभव है. आप इसे कई तरह से साबित किया गया है. खुद बीजेपी इसपर सुप्रीम कोर्ट से केस जीत चुकी है. इसके बाद वीवीपैट व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया गया था.
2. अबतक वीवीपैट लागू क्यों नहीं हुई?
जवाब – चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक जवाब में अदालत से कहा है कि वीवी पैट को केन्द्र सरकार लटका रही है. कई बार फंड मांगा गया लेकिन मोदी सरकार ने नहीं दिया.
3. हमारी ईवीएम नेटवर्क से नहीं जुड़ती इसलिए हैकिंग नहीं हो सकती ?
जवाब – सही है हमारी ईवीएम नेटवर्क से नहीं जुड़ती. जब 2009 में चुनाव आयोग ने चुनौती दी थी तो ठीक एक साल बाद अमेरिका के मिशीगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बाकायदा मशीन को हैक करके दिखाया. उन्होंने बताया कि मशीन के मूल सर्किट को छूने की ज़रूरत नहीं होती. मशीन की हूबहू स्क्रीन बना ली जाती है और उसपर ब्लूटूथ या एसएमएस के ज़रिए मनचाहा डाटा डिस्प्ले किया जा सकता है.

 

(बीबीसी लंदन की रिपोर्ट इस लिंक पर पढ़ सकते हैं)

3. कड़ी सुरक्षा में रखी ईवीएम का डिस्प्ले बदलना आसान नहीं है ये मज़ाक ही होगा कि कोई इतना बड़ा काम कर दे?
जवाब- कई जगहों पर नकली ईवीएम पकड़ी जा चुकी हैं. खुद प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में 25 अक्टूबर को एक फर्जी ईवीएम मशीन मिली. चुनाव आयोग ने कहा कि ये ईवीएम मशीन

( इस लिंक से आप इंडिया टुडे की रिपोर्ट पढ़ सकते हैं.)

जब नकली ईवीएम मशीन मिल सकती है तो हेराफेरी क्यों नहीं हो सकती.
4. ईवीएम मशीन की चिप में डाटा से छेड़छाड़ संभव नहीं फिर हेरोफेरी कैसे?
जवाब- आजतक चुनाव आयोग ने ईवीएम के सॉफ्टवेयर में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की जांच नहीं कराई है. सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बावजूद कभी इसका ऑडिट नहीं किया गया. आज भी चुनाव आयोग के पास अपनी चुनाव प्रक्रिया को छोडकर कोई ऐसा आधार नहीं है जिसके बलपर वो ईवीएम को सही साबित कर सके. वो अपनी प्रक्रिया की दुहाई देता है जिसके तोड़ पहले ही सामने आ चुके हैं.
5. ईवीएम की खराबी हो हेराफेरी कहा जा रहा है, खराब तो कोई भी मशीन हो सकती है?
जवाब- ईवीएम खराब होगी तो बंद पड़ जाएगी. खुद चुनाव आयोग कहता है कि ये कैल्क्युलेटर से ज्यादा कुछ नहीं. अगर कैल्क्युलेटर खराब होता है तो ऐसा तो नहीं करता कि वो दो से दो का गुणां करने पर भी 4 दिखाए और 5 से गुणा करने पर भी 4 दिखाए. अगर ऐसा है तो ईवीएम मशीन किसी एक ही पार्टी को वोट क्यों देती है. ऐसी की मशीनें सामने आ चुकी हैं. आसाम में ऐसी मशीन मिली. भिंड में ऐसी मशीन मिली, धौलपुर में ऐसी मशीन मिली.

6. अब तो वीवीपैट आ रहा है अब क्या फिक्र ?
वीवीपैट में दो खामियां है.
1. उपर बताई गई मिशिगन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक ईवीएम का सिर्फ डिस्प्ले हैक किया जाता है. यानी जब आप वोट डालेंगे तो पर्ची भी वहीं निकलेगी जिसे आपने वोट डाला. बत्ती भी वही जलेगी लेकिन काउंटिंग के समय स्क्रीन पर वह दिखेगा जो हैकर दिखाना चाहेगा.
2. वीवीपैट को लेकर कानून बेहद डरावना है. आपने वीवीपैट में गड़बड़ी की शिकायत की. अगर आपकी शिकायत किसी भी वजह से गलत साबित हुई तो आपको 6 महीने की सज़ा होगी. सरकारी प्रक्रिया में ये आम हे कि शिकायत के बाद पूरा सिस्टम छिपाने में लग जाता है. अगर अफसर हेराफेरी को सही साबित करने में कामयाब हो गए,जिसकी संभावना से कोई भी इनकार नहीं कर सकता तो शिकायतकर्ता सीधे जेल जाएगा. जाहिर बात है ऐसे में कोई शिकायत नहीं करेगा. पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के फेसबुक वॉल से साभार