अखिलेश के एक्सप्रेस के सामने कहीं नही टिकता मोदी का एक्सप्रेस वे

नई दिल्ली : ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन आज पीएम मोदी कर रहे हैं और इससे पहले ही इस एक्स्प्रेसवे को इतिहास का सबसे बड़ा अजूबा और सरकार की सबसे महान उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया जाने लगा है. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और है.

आज पूरा होने से पहले ही प्रधानमंत्री जिस ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर रहे हैं वो दरअसल अखिलेश यादव के आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे के मुकाबले कहीं नही ठहरता. न लगात में न काम की रफ्तार में न क्वालिटी हैं.

समय में अखिलेश आगे

अखिलेश यादव ने जिस आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था वो 302 किलोमीटर लंबा था. देश के इस सबसे संबे एक्सप्रेसवे को बनाने में सिर्फ 22 महीने लगे थे जबकि मोदी के एक्सप्रेसवे को बनाने में 27 महीने से ज्यादा लग गए.

लागत में भी अखिलेश आगे

सिर्फ 135 किलोमीटर लंबे मोदी के एक्सप्रेसवे यानी ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की लागत 11000 करोड़ रुपये आई जबकि अखिलेश यादव ने 13200 करोड़ में तीन सौ दो किलोमीटर का एक्सप्रेसवे तैयार कर दिया था. यानी आधे से भी कम लंबाई के एक्सप्रेसवे की लागत प्रति किलोमीटर दुगुने से भी ज्यादा. एक किलोमीटर पर मोदी सरकार ने अगर साढ़े 81 करोड़ रुपये खर्च किए तो अखिलेश ने सिर्फ 44 करोड़ में एक किलोमीटर का निर्माण किया.

ठोस फीचर

मोदी के ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे में सजावट पर ज्यादा ध्यान दिया गया है. तरह तरह की सज़ावटी चीज़ें लगाई गई हैं जबकि अखिलेश के एक्सप्रेसवे में कई ठोस फीचर्स थे.  अखिलेश क एक्सप्रेसवे को जिसे भविष्य में बढ़ाकर आठ लेन का करने का भी प्रावधान है जो ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे में नहीं है. इसमें गंगा और यमुना नदी पर भी आठ लेन पुल है. यह एक्सप्रेस-वे एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट से लैस है, जिससे धुंध और कोहरे में ट्रैफिक चलता रहता है.

इस एक्सप्रेसवे पर चलने वाले सिर्फ वाहनों का ही खयाल नहीं रखा गया है बल्कि ये कुछ दूसरी वजहों से भी खास है. लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे के आस पास कई मंडियां विकसित की गई हैं. ताकि किसान भी एक्सप्रेसवे का फायदा ले सकें.

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