एडीबी ने भी गिराया भारत का जीडीपी का अनुमान, मोदी सरकार के लिए बुरी खबर

नई दिल्ली:  भारत के खराब आर्थिक विकास के संकेतक लगातार मोदी सरकार के लिए मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं. नए इंडीकेटर्स का इशारा साफ है कि मोदी सरकार आर्थिक फ्रंट पर तीन साल में कुछ खास करने में कामयाब नहीं हुई है. इसके उलट तीन सालों में नोटबंदी और जीएसटी जैसे बदलावों के कारण हालात बदले हैं. सबसे ताज़ा नयी बुरी खबर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से आई है.

एडीबी ने बुधवार को देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. इस गिरावट के लिए बैंक ने पहली छमाही के कमजोर प्रदर्शन, नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के लागू होने के बाद की चुनौतियों का हवाला दिया है. बहुपक्षीय ऋणदाता ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए देश का जीडीपी अनुमान 7.4 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है.

एडीबी ने एशियाई विकास परिदृश्य रपट में कहा है, “वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में उत्साहविहीन विकास दर, साल 2016 के नवंबर में की गई नोटबंदी के असर, नई कर प्रणाली को लागू करने में आनेवाली शुरुआती चुनौतियों, 2017 में अपूर्ण मानसून के कारण कृषि क्षेत्र पर होनेवाले असर को देखते हुए अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था अब 6.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि पहले के अनुमानों में इसके सात फीसदी रहने की बात कही गई थी.”

अपने सितंबर के अपडेट में एडीबी ने भारत के विकास दर अनुमान को चालू वित्त वर्ष के लिए घटाकर सात फीसदी कर दिया था, तथा अगले वित्त वर्ष के लिए इसे 7.6 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी किया था. बता दें कि हाल ही में आए दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी दर बढ़कर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई. इससे पहले अप्रैल से जून के बीच पहली तिमाही की जीडीपी दर 5.7 फीसदी रही थी. तब मोदी सरकार की खूब आलोचना हुई थी.