सुरक्षा आपके बस की नहीं लेकिन इस्तीफा ज़रूर है , ‘प्रभु’ कब दोगे


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नई दिल्ली : आपको याद होगा कि इस बार जब वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट पेश किया तो कहा सुरक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है. सुरक्षित यात्रा के लिए कीमत तो अदा करनी ही होगी. इससे पहले रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपना बजट पेश किया था तो यही कहा था कि सुरक्षित रेल् यात्रा के लिए कीमत देनी होगी. ये वही सरकार है जिसने असंख्य बार किराए बढ़ाए. और जैसे हो सका ज्यादा रकम वसूल की. रिजर्वेशन वालों पर बाकायदा एहसान किया और टिकट पर लिखा कि इतनी सब्सिडी दे रहे हैं. ट्विट्र पर दो चार लोगों को पानी की बोतल पहुंचाकर वाहवाही भी लूटी .

निक्ममेपन के कीर्तिमान स्थापित करने और जिम्मेदारी से भागने वाला ये रेलवे मंत्रालय वही रेल चलाता है जिसके हादसे होने पर देश के नेता गद्दियों से हट गए, ये लाल बहादर गांधी का देश है जहां उन्होंने अपनी गद्दी छोड़ दी थी. ये माधव राव सिंधिया जैसे लोगों का देश है जिन्होंने एक हादसे के बाद मंत्रालय छोड़ दिया था.

लेकिन नतीजा सबके सामने हैं. सुरक्षित यात्रा देने वाली सरकार ने 23 मौतें दी हैं वो भई लापरवाही से . लापरवाही भई छोटी मोटी नहीं बल्कि गंभीर ट्रेक टूटा है उस पर मरम्मत का काम चल रहा है और ट्राइवर को खबर तक नहीं होती . वो ज़िंदगियों को मौत  की यात्रा पर ले जाता है. 23 का आँकड़ा तो सरकारी है अभी धीरे धीरे और मौतों का नाम भी लिस्ट में लिख दिया जाएगा.

आपको ये सब इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि शनिवार देर शाम यूपी में मुजफ्फरनगर के करीब खतौली में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से पलट गई. इस हादसे में अब तक 23 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.

ये हादसा उस रेल्वे और उस सरकार की हकीकत है जो बुलेट ट्रेन के सपने बेचकर न्यू इंडिया के नाम पर वोट मांगती है. बुलेट ट्रेन की बाते करने वाली ये सरकार सही सलामत पहुंचाने के भी काबिल नहीं है.

ये मोदी मंत्रिमंडल के प्रभु यानी सुरेश प्रभु की रेलवे का हाल है. मोदी जी के रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेलवे को आधुनिक बनाने की बड़ी बड़ी बातें करते है लेकिन हादसों के मामले में पिछड़ते जा रहे हैं.

रेल मंत्री के साथ साथ उनका विभाग एक तरफ तो डिब्बों से लाशें और कुछ ज़िंदा लाशें निकालने के काम पर लगा है लेकिन दूसरी तरफ ये तैयारी चल रही है कि मौतों की ज़िम्मेदारी से कैसे पल्ला झ़ाड़ा जाए. फिर से क्या बयान जारी किया जाए कि दोष किसी और पर आ जाए. अगर दोष न मढ़ा जा सके तो कम से कम कोई सांप्रदायिक बयान देकर बहस को ही मोड़ दिया जाए. अगर ये भी नहीं होता तो आतंकवादी घटना का तो आरोप है ही.

 

आपसे सिर्फ इतनी इल्तिजा है कि अपना बीमा करवाकर रखें और यात्रा शुरू करने से पहले भगवान को याद करलें क्योंकि इससे ज्यादा आपकेहाथ में कुछ नहीं है.