नई दिल्ली: अब आप जान सकेंगे के नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी के बारे में क्या सोचता था. केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने महात्मा गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे का बयान और इस केस से जुड़े रिकॉर्ड नेशनल आर्काइव की वेबसाइट पर पब्लिक करने का ऑर्डर दिया है. मुख्य सूचना आयुक्त एम. श्रीधर आचार्युलू ने कहा, ”कोई नाथूराम और हत्या में शामिल रहे बाकी दोषियों के भले ही सहमत ना हो, लेकिन हम उनके विचारों को पब्लिक करने से इनकार नहीं कर सकते हैं.”
एक शख्स ने आरटीआई में केस की चार्जशीट, गोडसे का बयान और बाकी जानकारियां दिल्ली पुलिस से मांगी थीं. CIC ने कहा, ”इस जानकारी के लिए दिल्ली पुलिस और नेशनल अर्काइव ने कोई आपत्ति नहीं जताई है. चूंकि यह 20 साल से ज्यादा पुरानी है और इसके पब्लिक होने से देश को कोई नुकसान नहीं.” ”ना ही नाथूराम और ना ही उनके सिद्धांतों और विचारों को मानने वाला शख्स किसी के सिद्धांत से असहमत होने की स्थिति में उसकी हत्या करने की हद तक जा सकता है.
”गांधी का जीवन, कैरेक्टर और उनकी इमेज एक शांतिदूत की रही है. देश की आजादी और हिंदूमुस्लिम एकता को उनसे जुड़ी जानकारी सामने आने पर कोई खतरा नहीं होगा.” ”नेशनल अर्काइव अपनी ऑफिशियल साइट पर बापू की शहादत से जुड़ी सभी जानकारियां पब्लिश करे.” बता दें कि, 30 जनवरी, 1948 को बापू को गोलियां मारने वाले नाथूराम को एक राइट विंग एक्टिविस्ट बताया जाता है.
क्या है मामला? दरअसल, पिटीशन फाइल करने वाले आशुतोष बंसल ने दिल्ली पुलिस से गोडसे की चार्जशीट, उसके बयान और केस से जुड़ी बाकी जानकारियां मांगी थीं. पुलिस के मुताबिक, केस से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया (NAI) को भेज दिया गया था. इसीलिए पुलिस ने पिटीशन को एनएआई को भेज दिया.
इस पर नेशनल आर्काइव ने बंसल से कहा कि वह यहां आकर खुद मांगी गई जानकारियां खोज सकते हैं. इसके बाद बंसल ने CIC का रुख किया. आचार्युलू ने सेंट्रल पब्लिक इन्फॉर्मेशन कमिश्नर (CPIONAI) को ऑर्डर दिया कि बंसल से फोटोकॉपी का चार्ज नहीं वसूला जाए, क्योंकि यह एक सार्वजनिक जानकारी है. आरटीआई एक्ट के मुताबिक जानकारियां मांगने वाले से 3 रुपए प्रति पेज चार्ज लिया जाता है.
2017-02-18