दंगा मुक्त समाज: मोदी के आने के बाद बेतहाशा बढ़ गई सांप्रदायिक हिंसा, खुद सरकार ने दिए आंकड़े

नई दिल्ली : खुद मोदी सरकार ने मंगलवार को लोक सभा में कबूल किया कि पिछले तीन सालों में राज्यों में सांप्रदायिक, जातीय और नस्ली हिंसा को बढ़ावा देने वाली घटनाएं थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 49 प्रतिशत बढ़ गईं.

गृह राज्य मंत्री गंगाराम अहिरवार द्वारा सदन में पेश की गई राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में धर्म, नस्ल या जन्मस्थान को लेकर हुए विभिन्न समुदायों में हुई हिंसा की 336 घटनाएं हुई थीं. साल 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 475 हो गई. अहिरवार एक गौरक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा और सरकार द्वारा उन पर रोक लगाने से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

अहिरवार ने सदन में कहा कि सरकार के पास गौरक्षकों से जुड़ी हिंसा का आंकड़ा नहीं है लेकिन सांप्रदायिक, जातीय या नस्ली विद्वेष को बढ़ाने वाली हिंसक घटनाओं का आंकड़ा मौजूद है. मंत्री अहिरवार के आंकड़ों के अनुसार राज्यों में ऐसी घटनाओं में 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई. साल 2014 में राज्यों में 318 ऐसी घटनाएं हुई थीं जो साल 2016 में बढ़कर 474 हो गईं.

वहीं दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाओं में भारी की कमी आई. राजधानी और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 18 घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में ऐसी केवल एक घटना हुई. पीएम मोदी जब सरकार में आने वाले थे तो कहा गया कि दंगा मुक्त भारत बीजेपी ही दे सकती है. दंगा मुक्त समाज के नाम पर बीजेपी को लेगों ने वोट भी दिए. लेकिन अब खबर आई है कि जैसे कश्मीर के हालात सुधारने के नाम पर बिगड़े वैसे ही देश में दंगों का भी हाल है.